लद्दाख की गलवान घाटी में पिछले एक महीने से भारत और चीन के बीच बने तनावपूर्ण स्थिति ने सोमवार देर रात हिंसक रूप ले लिया और इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए. समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक भारतीय फौज के पलटवार में चीन के 43 जवान हताहत हुए हैं. आइए, मैप के जरिए जानते हैं कि उस इलाके को जानने की कोशिश करते हैं जहां दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई.
लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर गलवान फ्लैश प्वाइंट पीपी 14 के पास दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई.
भारत-चीन सीमा के नजदीक गलवान
गलवान घाटी लद्दाख और अक्साई चिन के बीच भारत-चीन सीमा के नजदीक स्थित है. यहां पर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल अक्साई चिन को भारत से अलग करती है. चीन पहले ही यहां पर जरुरी सैन्य निर्माण कर चुका है और इसी स्थिति को बनाए रखने की बात करता है और अब भारत भी वहां पर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए सामरिक निर्माण कर रहा है और चीन इसी पर विवाद खड़ा कर रहा है.
लद्दाख की राजधानी लेह से दारबुक होते हुए दौलग बेग ओल्डी जाने के लिए 323 किलोमीटर लंबी सड़क पर पिछले 15 साल से निर्माण कार्य जारी है और इसी काम से चीन बेहद परेशान है.
लेह से 323 किलोमीटर दूर है दौलत बेग ओल्डी
यह रास्ता बेहद दुर्गम है. सड़क बनने से पहले इस रास्ते पर जाने में सेना को कई दिनों तक पैदल चलना पड़ता था, लेकिन अब सड़क बनने से सेना को थोड़ राहत मिल गई है और सड़क पिछले साल ही खोल दिया गया.
दौलग बेग ओल्डी के रास्ते में गलवान नदी के पास चीन ने 2016 में एक बेस बना लिया है. गलवान फ्लैश प्वाइंट पीपी 14 के जिस जगह पर सोमवार रात हिंसक झड़प हुई वहां पर चीन अपना डेरा जमा कर बैठ गया है, इसके जवाब में भारत ने अपने जवान वहां पर भेजे.
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लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल में पड़ने वाली गलवान फ्लैश प्वाइंट पीपी 14 के पास चीन ने अपना बेस बना लिया है और भारी संख्या में वहां पर अपने हथियार और सेना को एकत्र कर लिया है. यह बेहद ऊंचाई पर है और इससे भारत को खासा असर पड़ेगा क्योंकि चीन ऊपर से भारत की गतिविधियों को हमले के जरिए प्रभावित कर सकता है और नजर बनाए रख सकता है.
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इस झड़प से पहले लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर हिंसक झड़प के बाद चीन का चरित्र एक बार फिर खुलकर सामने आ गया. बॉर्डर पर डेढ़ महीने से चल रहे विवाद को शांति से निपटने के लिए 6 जून को हुई सीनियर कमांडरों की बैठक में चीनी सेना ने पीछे हटने की बात कही थी, लेकिन महज 10 दिन में चीन ने धोखे से खूनी साजिश रच डाली. दोनों पक्षों की ओर सैनिक मारे गए.
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