अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह ने यह उम्मीद जताई है कि भारत-अमेरिका के बीच एक छोटी ट्रेड डील अगले कुछ ही हफ्तों में हो सकती है. उन्होंने यह स्वीकार किया कि कोविड-19 से मिली अभूतपूर्व चुनौतियों की वजह से इस मामले में थोड़ी देरी हो रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के बीच भारत और अमेरिका के बीच भरोसा बढ़ा है.
चीन से तनाव के बीच अवसर
इन दिनों चीन से अमेरिका के रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं. ऐसे में भारत के लिए अमेरिका से अपने कारोबारी रिश्ते मजबूत करने का अच्छा अवसर है.
गौरतलब है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता होने की काफी समय से चर्चा चल रही है. इस साल फरवरी में जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने पहले भारत दौरे पर आए थे, तब भी इस बात की जोरशोर से चर्चा थी कि दोनों देशों के बीच ट्रेड डील हो सकती है, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की भूमिका
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अमेरिका-भारत सामरिक साझेदारी मंच (USISPF) के वर्चुअल वेस्ट कोस्ट समिट को संबोधित करते हुए संधू ने कहा कि भारत ने जिस तरह से अमेरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) की आपूर्ति की है, उससे दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ा है और रिश्तों की बुनियाद मजबूत हुई है.
उन्होंने कहा, 'मैं ट्रेड डील को लेकर काफी आशावादी हूं. मुझे यह बताना चाहिए कि मौजूदा अभूतपूर्व चुनौती की वजह से इस मामले में थोड़ा हम पीछे हुए हैं, क्योंकि इस समय सभी सरकारें स्वास्थ्य संबंधी संकट से निबट रही हैं.'
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लगभग तय थी डील
इसके पहले, ट्रंप के दौरे से ऐन पहले अमेरिका भारत के साथ व्यापारिक समझौता करने से पीछे हट गया था. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत और अमेरिका के दोनों पक्षों ने ट्रंप के दौरे से पहले एक व्यापारिक सौदे के लिए भी काफी मेहनत की थी. दोनों पक्षों के बीच लगभग डील तय भी हो गई थी लेकिन अमेरिकी अधिकारियों ने मेगा संधि की आवश्यकता का हवाला देते हुए आखिरी समय में अपने पांव पीछे खींच लिए और इसे होल्ड पर रख दिया. अमेरिका ने भारत को कहा कि वो एक बड़े व्यापारिक समझौते के लिए अभी थोड़ा इंतजार करेंगे.
अमेरिका की मांग थी कि कुछ चिकित्सा उपकरणों पर मूल्य प्रतिबंधों में ढील दी जाए तो वहीं भारत की मांग थी कि अमेरिका वरीयता सामान्यीकरण प्रणाली (जीएसपी) को बहाल करे, जिसे उसने पिछले जून में वापस ले लिया था.
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