गुरु पूर्णिमा पर भक्तों की झोली भरते साईं बाबा

गुरु पूर्णिमा यानी गुरु को नमन करने का दिन. गुरु पूर्णिमा के महापर्व पर देशभर के मंदिरों की रौनक देखते ही बनती है, लेकिन इसकी सबसे ज्यादा रौनक दिख रही है शिरडी में. गुरु पूर्णिमा के मौके पर शिरडी में 3 दिनों का उत्सव पर्व मनाया जाता है और इस उत्सव में शामिल होने दूर-दूर से भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है.

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साईं बाबा साईं बाबा

aajtak.in

  • शिरडी,
  • 19 जनवरी 2015,
  • अपडेटेड 1:18 PM IST

गुरु पूर्णिमा यानी गुरु को नमन करने का दिन. गुरु पूर्णिमा के महापर्व पर देशभर के मंदिरों की रौनक देखते ही बनती है, लेकिन इसकी सबसे ज्यादा रौनक दिख रही है शिरडी में. गुरु पूर्णिमा के मौके पर शिरडी में 3 दिनों का उत्सव पर्व मनाया जाता है और इस उत्सव में शामिल होने दूर-दूर से भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है. इस दिन शिरडी में साईं को गुरु दक्षिणा देने की भी परंपरा है.

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इस समय शिरडी में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है. शिरडी में साईं भक्तों का रेला लगा है. सबकी एक ही ख्वाहिश है कि साईं मनचाहे वरदान से अपने भक्तों की झोली भर दें. साईं बाबा अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं और इसलिए हर कोई चाहता है कि बस एक बार साईं बाबा के दर्शन हो जाएं, तो जीवन धन्य हो जाए.

जहां खुद साईं का वास हो उस नगरी में गुरु पूर्णिमा का नजारा अद्भुत तो होगा ही. साईं के दर्शन करने और उन्हें गुरु दक्षिणा अर्पित करने पुणे से 3000 भक्त पहुंचे. साईं की भक्ति में झूमते मतवालों ने पुणे से शिरडी तक का सफर पैदल तय किया. अब आप इसे भक्ति की शक्ति कहें या साईं का चमत्कार. किसी के चेहरे पर ना तो पैदल चलने की थकान दिखी ना कोई शिकन.

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पुणे से आए एक भक्त ने कहा कि आज गुरु पूर्णिमा का दिन है. गुरु पूर्णिमा के दिन हम गुरु दक्षिणा देते हैं. ऐसी मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा पर साईं बाबा अपने भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं. अपने भक्तों के हर दुख दर्द को सुनते हैं.

मान्यता के अनुसार ही हजारों लाखों की तादाद में साईं भक्त बाबा के दर्शन करने के लिए शिरडी चले आते हैं. साईं की एक झलक पाने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है. लोग घंटों तक कतार में खड़े होकर इंतजार करते हैं.

साईं गुरु उत्सव पर साईं बाबा भी खुद पालकी पर सवार होकर निकलते हैं और पूरे शिरडी में साईं बाबा की पालकी निकलती है. हम आपको बता दें कि साईं बाबा की इस पालकी का विशेष महत्व है. कहते हैं इस मौके पर बाबा के दर्शन का सौभाग्य जिसे मिल जाता है, उसके जीवन में कोई कामना अधूरी नहीं रहती.

कहते हैं साईं बाबा के दर से कभी कोई खाली झोली लेकर नहीं आता. साईं बाबा अपने हर भक्त की मराद पूरी करते हैं ऐसे में बाबा के भक्त भी बाबा का शुक्रिया अदा करने का कोई भी मौका जाने नहीं देना चाहते. खास तौर पर गुरु पूर्णिमा के दिन भक्त अपने बाबा को गुरु दक्षिणा देकर सात जन्म संवार लेते हैं.

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भक्त भी तरह-तरह के श्रद्धा की अभिव्यक्ति करते हैं. किसी ने साईं को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया तो किसी भक्त ने उन्हें चांदी के रथ पर बिठाया. किसी ने साईं के चरणों में सोने के दीये अर्पण कर दिए तो किसी ने रक्तदान करके ही गुरु को दक्षिणा दी. हैदराबाद से आए एक भक्त ने साईं के चरणों में सोने की गुरु दक्षिणा भेंट की. जेआर राव नाम के भक्त ने साईं को सोने के दो दीये भेंट किए, जिनकी कीमत 25 लाख रुपये से भी ज्यादा है.

साईं के दरबार में बड़े-छोटे का भेद नहीं होता. ना ही ऊंच नीच या गरीब-अमीर की खाई होती है. साईं सबके हैं और सभी साईं के. शिरडी के साईं ने बराबरी का संदेश दिया था और गुरु पूर्णिमा के पवित्र मौके पर साईं का यही संदेश समाधि मंदिर में आए भक्तों को मिल रहा है.

एक भक्त ने कहा कि साईं बाबा ने अपने जीवनकाल में अपनी विभूति से कई दुखियारों की मदद की और उन्हें तमाम रोग व्याधियों से छुटकारा भी दिलाया. बाबा के प्रति भक्तों की अटूट आस्था के रूप में आज भी बाबा के भक्त उनकी इस श्रद्धा और उनके सेवा भाव को अपने मन जिंदा रखे हुए हैं. बाबा के बताएं रास्ते पर चलते हुए रक्तदान के रूप में बाबा को दक्षिणा अर्पित कर उनसे आशीष पाते हैं.

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