देश में इमरजेंसी को याद करती एक डॉक्यूमेंट्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को आपातकाल के 40 साल पूरे होने पर कहा कि देश कभी भी 25-26 जून को नहीं भुला सकता. यकीनन लोकतंत्र के इतिहास में भारत में इमरजेंसी की यह घटना एक ऐसी अमिट छाप छोड़ती है, जिसका असर राजनीति और समाज पर आज भी दिखता है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2015,
  • अपडेटेड 5:17 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को आपातकाल के 40 साल पूरे होने पर कहा कि देश कभी भी 25-26 जून को नहीं भुला सकता. यकीनन लोकतंत्र के इतिहास में भारत में इमरजेंसी की यह घटना एक ऐसी अमिट छाप छोड़ती है, जिसका असर राजनीति और समाज पर आज भी दिखता है.

साल 1975 में इमरजेंसी के दौरान जयप्रकाश नारायण 'लोकनायक' बनकर उभरे. उनके साथ लाखों लोगों की भीड़ थी, जो तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार के खि‍लाफ नारे लगा रही थी. लेकिन इस भीड़ से इतर देश में वो चेहरे भी थे जो आपातकाल को झेल रहे थे. इतिहासकार, कलाकार, पत्रकार और नक्सल आंदोलन तक हर जगह इमरजेंसी ने अपना असर छोड़ा.

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दिल्ली के छात्रों के एक समूह ने इसी मुद्दे पर एक 32 मिनट की डॉक्यूमेंट्री तैयार की जो उस पल को जी चुके लोगों से सीधे साक्षात्कार करवाती है.

देखें, डॉक्यूमेंट्री When the trains ran on time:

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