दिवाली बाजार पर भी पड़ रही है मंदी की मार, बाजार में पसरा सन्नाटा

किराना और जनरल स्टोर के अलावा, ट्रेवेल एजेंट और टूर आपरेटर भी कमजोर लिक्विडिटी की मार झेल रहे हैं. अनुमानों के मुताबिक, फाइनेंस विकल्प उपलब्ध होने के बावजूद लोग हॉलीडे पैकेज में बहुत कम रुचि ले रहे हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर

मनजीत सहगल

  • चंडीगढ़,
  • 10 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 10:31 PM IST

  • कमजोर लिक्विडिटी के चलते बाजार सूने
  • बिक्री में कम से कम 30 फीसदी की कमी

उत्तर भारत के बाजारों से दिवाली के उत्सव और रंग गायब हैं. जो बाजार दिवाली नजदीक आते ही गुलजार हो जाते थे, वे सुनसान दिख रहे हैं. व्यवसायियों का मानना है कि कमजोर लिक्विडिटी (कमजोर तरलता/नकदी की कमी) के चलते बाजार सूने पड़े हैं. हरियाणा व्यापार मंडल के एक अनुमान के मुताबिक, व्यवसायियों का मानना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल बिक्री में कम से कम 30 फीसदी की कमी रहेगी.

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मंदी ने बाजार पर डाला प्रभाव

युवा हरियाणा व्यापार मंडल, पंचकूला, हरियाणा के अध्यक्ष राहुल गर्ग का कहना है, 'बाजार में सन्नाटा है और खरीदार गायब हैं. कमजोर लिक्विडिटी के चलते ग्राहक बाजार से दूर हैं. अगर आपकी जेब में पैसे नहीं हैं तो आप खरीदारी कैसे करेंगे? मंदी ने बाजार के हर हिस्से को बुरी तरह प्रभावित किया है.'

राहुल गर्ग के मुताबिक, कमजोर लिक्विडिटी के अलावा दूसरा सबसे बड़ा कारण है बढ़ता ऑनलाइन बाजार. ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल न सिर्फ पारंपरिक दुकानों के मुनाफे खा रहे हैं, बल्कि बेरोजगारी भी बढ़ा रहे हैं.

रोजगार पर पड़ रहा असर  

गर्ग ने कहा, 'दुकानदार बिक्री के लिए स्टॉफ रखते हैं और स्टॉक रखने के लिए लोन उठाते हैं. लेकिन ऑनलाइन स्टोर कम स्टॉफ से काम चला लेते हैं, इससे बेरोजगारी भी बढ़ती है. लोग जरूरत के मुताबिक खरीदारी करते हैं, वह भी ऑनलाइन स्टोर से हो जाती है. इसके चलते दुकानदार  व्यवसायियों पर मार पड़ रही है. अब अनाज तक ऑनलाइन बिक रहे हैं. हमारा व्यवसाय बचाने के लिए सरकार को कुछ करना चाहिए.'

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नहीं बिक रहे गिफ्ट आइटम

कमजोर बिक्री के डर से दुकानदार गिफ्ट आइटम का स्टॉक नहीं रख रहे हैं, क्योंकि सामान बिकेंगे नहीं तो उन्हें नुकसान होगा. राहुल गर्ग का कहना है कि ज्यादातर दुकानदार खाने के सामान रख रहे हैं जैसे सूखे मेवे...वे कॉरपोरेट गिफ्ट आइटम से बच रहे हैं.

राहुल गर्ग ने बताया, 'खरीदारों का मिजाज बाजार के खिलाफ है. कमजोर लिक्विडिटी और खराब बिक्री के चलते व्यवसायी गिफ्ट आइटम नहीं खरीद रहे हैं. अगर प्रॉफिट नहीं है तो कोई भी महंगे गिफ्ट आइटम क्यों रखेगा.'

ट्रेवेल इंडस्ट्री में भी 45 फीसदी तक गिरावट

किराना और जनरल स्टोर के अलावा, ट्रेवेल एजेंट और टूर आपरेटर भी कमजोर लिक्विडिटी की मार झेल रहे हैं. अनुमानों के मुताबिक, फाइनेंस विकल्प उपलब्ध होने के बावजूद लोग हॉलीडे पैकेज में बहुत कम रुचि ले रहे हैं. हॉलीडे पैकेज की बिक्री में 40 से 45 फीसदी की गिरावट आ गई है.

क्या कहना है टूर आपरेटर का?

'सस्ता ट्रिप' के सीईओ अर्पण गुप्ता कहते हैं, "लोग आम तौर पर छुट्टियां बिताने जा रहे हैं लेकिन... आप कह सकते हैं कि मार्केट में जबरदस्त गिरावट है. आजकल सिर्फ सर्विस क्लास लोग ही ज्यादा ट्रेवेल कर रहे हैं. बिजनेस क्लास लोग आजकल छुट्टियां बिताने के लिए ट्रेवेल नहीं कर रहे हैं क्योंकि बाजार में मंदी है.

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उनके अपने व्यवसाय में ही मंदी है और पैसा नहीं आ रहा है. वे अपने खर्च कम करने पर गौर कर रहे हैं. वे लक्जरी पर ज्यादा खर्च नहीं कर रहे हैं. ट्रेवेलिंग पर खर्च करने से आपको लक्जरी मिल सकती है लेकिन उसमें कुछ भी रिटर्न नहीं मिलता."

दिलचस्प यह है कि जो वेतनभोगी वर्ग है, उसके हॉलीडे प्लान पर असर नहीं पड़ा है. वे पैकेज भी ले सकते हैं और क्रेडिट कार्ड के ​जरिये इस्टालमेंट की सुविधा भी ले सकते हैं. बिजनेसमैन छुट्टियां बिताने के लिए टूर पर जाने के लिए सिर्फ अपने मुनाफे का पैसा खर्च करता है और वह इस खर्च को फाइनेंस कराने से बचता है.

ट्रेवेल इंडस्ट्री में मंदी

अर्पण गुपता के मुताबिक, ट्रेवेल इंडस्ट्री में मंदी पिछले तीन महीने से दिख रही है और यह बनी हुई है. इस ​इं​डस्ट्री में बिक्री पिछले साल के मुकाबले 45 फीसदी तक गिर गई है. अर्पण ने कहा, 'दिसंबर के लिए हॉलीडे पैकेज की बिक्री शुरू हो गई है लेकिन ग्राहकों का मिजाज उत्साहजनक नहीं है. नकदी का कमजोर प्रवाह और ट्रेवेल बिल पर जीएसटी थोपने की वजह से यात्रियों का उत्साह कम हुआ है.'

जब तक नकदी का प्रवाह सुधर नहीं जाता, तब तक के लिए अर्पण राहत की इच्छा जताते हुए कहते हैं कि सरकार को ट्रेवेल इंडस्ट्री को मारक मंदी से ​बचाने के लिए कोई कदम उठाना चाहिए.

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बिक्री में आई गिरावट

गुप्ता के मुताबिक, 'केंद्र में भाजपा सरकार के सत्ता में आने पर व्यापार क्षेत्र शुरुआत में उत्साह था लेकिन अब लोगों को उनकी विश्वसनीयता पर संदेह हो गया है. इसके चलते सभी व्यवसायी वर्गों में सुस्ती है. लोगों के पास सामान और अतिरिक्त सुविधाएं खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं. न सिर्फ बड़े बाजार बल्कि स्थानीय बाजार भी मंदी से बच निकलने की चुनौती से संघर्ष कर रहे हैं.'

हमने चंडीगढ़ में व्यवसायियों के कई वर्ग से बात करने की कोशिश की, जिन्होंने स्वीकार किया कि बिक्री में गिरावट आई है, लेकिन वे अपनी सामने आकर बयान नहीं देना चाहते, क्योंकि इससे खरीदारों का उत्साह और गिर सकता है.

चंडीगढ़ के एक बड़े होटल मालिक ने कहा, 'यह तो सिर्फ शुरुआत है और हम उम्मीद कर रहे हैं कि त्योहारी सप्ताह में बिक्री बढ़ेगी. खुदरा व्यापारी घाटे का सामना कर रहे हैं और यह मुनाफा ऑनलाइन पोर्टल्स को जा रहा है. छुट्टियों और त्योहारों का उत्साह गायब है.'

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