कोरोना इफेक्ट: फिर थमा अमेरिकी शेयर बाजार, भारत के लिए कैसा होगा दिन?

इससे पहले 12 मार्च को डाउ जोन्स में लोअर सर्किट लगाया गया था.इसका असर अगले ही दिन भारतीय शेयर बाजार पर दिखा था.

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सेंसेक्स और निफ्टी पर रहेगी नजर सेंसेक्स और निफ्टी पर रहेगी नजर

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 17 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 8:43 AM IST

  • अमेरिकी शेयर बाजार में फिर रोकनी पड़ी ट्रेडिंग
  • भारतीय शेयर बाजार पर असर पड़ने की आशंका

कोरोना वायरस की वजह से भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों में कोहराम जारी है. इस वायरस के बढ़ते कहर के बीच अमेरिकी शेयर बाजार डाउ जोन्स में एक बार फिर कारोबार रोकने की नौबत आ गई.

बीते सोमवार को अमेरिकी शेयर मार्केट डाउ जोन्स खुलते ही 2748 अंक गिर गया. ऐसे में बाजार पर लोअर सर्किट लगा और कारोबार को 15 मिनट के लिए रोक दिया गया. यही हाल एक अन्य सूचकांक S&P 500 का रहा. जब ट्रेडिंग रोकी गई तो यह 220.55 अंक गिरकर 2,490.47 (8.14) फीसदी पर था.

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भारत पर पड़ेगा असर?

सिर्फ तीन कारोबारी दिन के भीतर दूसरी बार है जब अमेरिकी बाजार में कुछ देर के लिए कारोबार नहीं हुआ. इससे पहले 12 मार्च को डाउ जोन्स में लोअर सर्किट लगाया गया था.इसका असर अगले ही दिन भारतीय शेयर बाजार पर दिखा था. 13 मार्च को सेंसेक्स खुलते ही 3000 अंक से अधिक तक गिर गया था और यहां लोअर सर्किट की वजह से 45 मिनट के लिए ट्रेडिंग रोकनी पड़ी थी.

सोमवार को बाजार का हाल

इससे पहले सोमवार को चौतरफा बिकवाली की वजह से सेंसेक्स और निफ्टी ने एक बार फिर ऐतिहासिक गिरावट देखी. तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स सोमवार को 2,713.41 अंक यानी 7.96 फीसदी की गिरावट के साथ 31,390.07 अंक पर बंद हुआ. इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 757.80 अंक यानी 7.61 फीसदी की गिरावट के साथ 9,197.40 अंक पर बंद हुआ.

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यह दूसरा मौका है जब अंकों के आधार पर सेंसेक्स में इतनी बड़ी गिरावट आई है. इससे पहले, 12 मार्च को सेंसेक्स ओर निफ्टी क्रमश: 2,919.26 अंक और 868.25 अंक टूटे थे.

क्या है हालात की वजह?

दरअसल, कोरोना वायरस महामारी की चिंता की वजह से दुनियाभर के शेयर बाजारों में बिकवाली बढ़ गई है. निवेशकों में एक डर का माहौल बना हुआ है. हालांकि, दुनियाभर की सरकारें इस संकट को दूर करने के लिए तरह-तरह के कदम उठा रही हैं. इसके बावजूद निवेशकों का भरोसा जीतने में नाकाम हैं.

इसके अलावा चीन में कारखाना उत्पादन और खुदरा बिक्री आंकड़ा कमजोर रहने के बाद एशियाई बाजारों में जोरदार गिरावट आई है. इस बीच, अमेरिकी फेडरल रिजर्च बैंक ने हाल-फिलहाल दूसरी बार रेपो रेट में कटौती की और उसके बाद यह 0 से 0.25 फीसदी के दायरे में आ गई है. साल 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के समय रेपो रेट का यही स्तर था.

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