सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए मनोनित किया है. इसे लेकर विपक्षी दल लगातार हमलावर हैं. वहीं, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ जस्टिस गोगोई की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनके साथ मौजूद रहे जस्टिस कुरियन जोसफ ने भी अब सवाल उठाए हैं. इन सबके बीच अब रंजन गोगोई ने भी सवालों पर मुंह खोला है.
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि वे कल ( 18 मार्च को) दिल्ली पहुंचेंगे. उन्होंने कहा कि पहले शपथ ग्रहण कर लें, उसके बाद मीडिया को बताएंगे कि वे राज्यसभा क्यों जा रहे हैं. उन्होंने राज्यसभा जाने का प्रस्ताव क्यों स्वीकार किया. वहीं, जनवरी 2018 को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस गोगोई के साथ रहे कुरियन जोसफ ने इसे स्वतंत्रता और निष्पक्षता के सिद्धांतों से समझौता बताया है.
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जस्टिस कुरियन ने कहा कि देश के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश को राज्यसभा सदस्य के रूप में नामित किए जाने की स्वीकृति ने निश्चित रूप से न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आम आदमी के विश्वास को हिला दिया है. जस्टिस गोगोई ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के सिद्धांतों से समझौता किया है. उन्होंने कहा कि हमने राष्ट्र के लिए अपने ऋण और दायित्व का निर्वहन किया है, 12 जनवरी 2018 को हम तीनों के साथ न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने यह बयान दिया था.
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जस्टिस कुरियन ने कहा कि मुझे आश्चर्य है कि कैसे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने उस समय एक बार स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए दृढ़ विश्वास के साथ ऐसे साहस का प्रदर्शन किया था. उन्होंने कहा कि जिस पल लोगों का यह विश्वास हिलता है, उस पल यह धारणा प्रबल होती है कि न्यायाधीशों के बीच एक वर्ग पक्षपाती है या आगे देख रहा है. जस्टिस कुरियन ने कहा कि ठोस नींव पर न्यायपालिका को पूरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाने के लिए ही साल 1993 में सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम प्रणाली पेश की थी.
बड़े स्तर पर है खतरा
उन्होंने कहा कि मेरे साथ न्यायमूर्ति चेलमेश्वर, रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर देश को यह बताने के लिए सामने आए कि इस आधार पर खतरा है और अब मुझे लगता है कि खतरा बड़े स्तर पर है. जस्टिस कुरियन ने कहा कि यही कारण था कि मैंने रिटायरमेंट के बाद कोई पद नहीं लेने का फैसला किया. बता दें कि रंजन गोगोई के मनोनयन पर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है.
संजय शर्मा