एजेएल जमीन आवंटन मामले में हुड्डा-वोरा को मिली जमानत

एजेएल पर कांग्रेस के नेताओं का कथित तौर पर नियंत्रण है, जिसमें गांधी परिवार भी शामिल है. एजेएल समूह ही नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन भी करता है.

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पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (फाइल फोटो-पीटीआई) पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (फाइल फोटो-पीटीआई)

सतेंदर चौहान

  • चंडीगढ़,
  • 03 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 1:38 PM IST

हरियाणा के पंचकुला में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को जमीन आवंटन मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा को जमानत दे दी है. दोनों नेताओं को 5-5 लाख के बेल बांड पर अदालत ने जमानत दी. इसके साथ ही दोनों आरोपियों को सीबीआई द्वारा मामले में दाखिल चार्जशीट की कॉपी सौंपी गई. मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी. जिसके बाद इस मामले में दोनों नेताओं के खिलाफ आरोप तय किए जाएंगे.  

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एजेएल जमीन आवंटन मामले में पंचकुला की विशेष सीबीआई अदालत के समन पर गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा अदालत में पेश हुए, जहां उन्हें 5-5 लाख के बेल बांड पर जमानत दे दी गई. सीबीआई ने 1 दिसंबर, 2018 को इस मामले में कांग्रेस के दोनों नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था. भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने सीएम रहते हुए नेशनल हेराल्ड की सब्सिडरी एजेएल को 2005 में 1982 की दरों पर प्लॉट आवंटित करवाए थे.

जिस समय यह प्लॉट आवंटित किया गया था तब पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के चेयरमैन थे और कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा एजेएल हाउस के चेयरमैन थे. सीबीआई ने हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री हुड्डा और एजेएल के अध्यक्ष मोतीलाल वोरा और कंपनी पर भारतीय दंड संहिता की आपराधिक षड्यंत्र से संबंधित धाराओं और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए हैं.

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चार्जशीट में सीबीआई ने कहा है कि एजेएल को 1982 में पंचकूला में जमीन का एक टुकड़ा आवंटित किया गया था जिस पर 1992 तक कोई निर्माण नहीं हुआ. हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HUDA) ने इसके बाद उस जमीन के टुकड़े को वापस अपने कब्जे में ले लिया. फिर दोबारा यही जमीन एजेएल को 2005 में उसी दर पर दे दी गई. जो कि HUDA के अध्यक्ष के तौर पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा नियमों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन था.

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