LIVE: SC में वकील का दावा- मुस्लिम पक्ष ने हिंदुओं को जमीन देने के लिए दिया था हलफनामा

अयोध्या मामले में अभी तक 9 दिन की सुनवाई पूरी हो चुकी है और गुरुवार को दसवां दिन है. अभी तक निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान के वकील अपना पक्ष अदालत में रख चुके हैं.

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सुप्रीम कोर्ट में जारी है अयोध्या मामले की सुनवाई (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट में जारी है अयोध्या मामले की सुनवाई (फाइल फोटो)

अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 22 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 1:09 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर रोजाना सुनवाई जारी है. अभी तक 9 दिन की सुनवाई पूरी हो गई है और गुरुवार को दसवां दिन है. अभी तक निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के वकील अपना पक्ष अदालत में रख चुके हैं. बुधवार शाम को सुनवाई खत्म होने से पहले गोपाल सिंह विशारद की ओर से वकील रंजीत कुमार अपनी दलीलें रख रहे थे. आज भी वही अपनी बात आगे बढ़ा रहे हैं...

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22 अगस्त 2019 की सुनवाई...

11.55 AM: गोपाल सिंह विशारद के वकील राजीव कुमार की तरफ से कहा गया कि 1949 में मुस्लिम पार्टी ने कहा था कि वह 1935 से वहां पर नमाज नहीं पढ़ रहे हैं, ऐसे में अगर जमीन को हिंदुओं को दिया जाता है तो कोई परेशानी नहीं होगी. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामे की वैधता को पूछा और पूछा कि क्या ये हलफनामे वेरिफाई हैं.

जस्टिस बोबड़े ने कहा कि ये हलफनामा तब दिया गया था जब सरकार जमीन को रिसीवर को सौंपना चाह रही थी. क्या ये बातें कभी मजिस्ट्रेट के सामने प्रूव हो पाई थी?

10.50 AM: अयोध्या विवाद की सुनवाई शुरू हो गई है. आज सुनवाई का दसवां दिन है. सुप्रीम कोर्ट में गोपाल सिंह विशारद के वकील रंजीत कुमार अपना पक्ष रहे हैं. उनकी ओर से 1950 में ही मुकदमा दाखिल किया गया था और उनका सूट नंबर एक है.

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बुधवार की सुनवाई में क्या हुआ?

बुधवार को रामलला विराजमान के वकील सीएस. वैद्यनाथन ने ही अपनी बातें आगे बढ़ाई और कई तरह के सबूत पेश किए. वकील ने स्कन्द पुराण का जिक्र किया, ASI की रिपोर्ट के बारे में बताया और कुछ तस्वीरें भी दिखाई. वैद्यनाथन ने अदालत में बताया कि मंदिर हमेशा मंदिर ही रहेगा. ऐसे में किसी और के दावा कर देने से जमीन उनकी नहीं हो जाती है.

चीफ जस्टिस ने किए कई तरह के सवाल

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुनवाई के दौरान कई तरह के सवाल दागे. उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ पुख्ता सबूत चाहिए. हमें नक्शा दिखाएं या कुछ ऐसा दिखाइए कि जिससे पता लग सके कि आप जिस स्थान का दावा कर रहे हैं वो वही जगह है. CJI ने पूछा कि धर्मग्रंथों का इस वक्त मामले से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि सवाल आस्था का नहीं बल्कि जमीन का है.

करीब दो दिन की दलीलों के बाद रामलला के वकील ने अपनी दलील खत्म की. उनके बाद राम जन्मस्थान पुनरुद्धार समिति के पीएन मिश्रा, हिंदू महासभा और गोपाल सिंह विशारद के वकील ने अपनी बातें रखीं. हालांकि सभी अपनी बातें पूरी नहीं कर सके.

बता दें कि सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में पहले मध्यस्थता का रास्ता अपनाने को कहा था लेकिन मध्यस्थता से कोई हल नहीं निकला. जिसके बाद अदालत इस मामले पर रोजाना सुनवाई कर रही है.

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इस केस को मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ सुन रही है. इसमें जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए. नजीर भी शामिल हैं.

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