आधुनिक भारत के निर्माता/ गणतंत्र दिवस विशेष
इनसानी तरक्की और विकास को देखने के हमारे तरीके पर अमत्र्य सेन ने गहरा असर डाला है. वे विकास की इबारत इस तरह गढ़ते हैं कि यह लोगों की पहले से हासिल असल क्षमताओं और आजादियों को बढ़ाने की प्रक्रिया है. इतने संकरे नजरिए से नहीं कि यह महज आमदनी बढ़ाने की प्रक्रिया है.
आजादियां केवल लोगों की आमदनियों पर ही निर्भर नहीं करतीं. वे कई दूसरी चीजों—मसलन, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाओं तथा राजनैतिक और नागरिक अधिकारों—से भी तय होती हैं. इस बात को उन्होंने इस तरह लिखा है, ''रहन-सहन के स्तर का मूल्य रहन-सहन में निहित है, इस बात पर नहीं कि आपके पास कितनी वस्तुएं हैं, जिनकी प्रासंगिकता मामूली है और घटती-बढ़ती रहती है.'' इस संदर्भ में नए सूचकांकों को गढऩे में सेन के योगदान की बदौलत गरीबी और मानव विकास को लेकर बेहतर समझ विकसित हुई है.
सेन ने पहचान के मुद्दों पर बहुत विस्तार से लिखा है और वे लोगों को धर्म या संस्कृति के आधार पर अलग-अलग खानों में डालने के असली खतरों को सामने लाते हैं. वे आगाह करते हैं कि अक्सर अलगाववादी नफरत को सक्रिय तौर पर बढ़ाने, टकरावों की आग में घी डालने और यहां तक कि बर्बरताओं को कायम रखने के लिए भी विशिष्ट पहचान के भ्रम को पाला-पोसा जा सकता है.
(लेखक विकास अर्थशास्त्री हैं)
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संध्या द्विवेदी / मंजीत ठाकुर