आंबेडकरः वह व्यक्ति जिसने आधुनिकता को देखा

आंबेडकर का भारत को शहरी, औद्योगिक समाज में बदलने का लक्ष्य उन्हें आधुनिक यूरोप और अमेरिका के निर्माताओं के समकक्ष रखता है. उनके हिसाब से ग्रामीण भारत नंगे बदन वाला एक आदमी तो शहरी भारत कपड़े पहने व्यक्ति है.

Advertisement
बी.आर. आंबेडकर (1891-1956) बी.आर. आंबेडकर (1891-1956)

मंजीत ठाकुर

  • ,
  • 25 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 1:56 PM IST

आधुनिक भारत के निर्माता/ गणतंत्र दिवस विशेष

नवजागरण के साथ ही 15वें से 17वीं सदी के दौरान यूरोप में औद्योगीकरण, सामंतवाद का खात्मा और इसके बाद पूंजीवाद और शहरीकरण का उभार हुआ. दूसरे शब्दों में, गांव आधारित समाजों से शहरी समाज की तरफ बढऩे का मतलब था आधुनिकता का आगमन जिसके साथ ही शासन के लोकतांत्रिक स्वरूपों का भी विकास हुआ.

Advertisement

यह प्रगति का सूचक है इसलिए बी.आर. आंबेडकर का भारत एक शहरी, औद्योगिक समाज होना चाहिए. आंबेडकर के ये विचार बहुत प्रसिद्ध हैं, ''गांव क्या है, स्थानीयता का हौज, अज्ञानता की एक मांद और एक संकीर्ण मानसिकता?'' क्या किसी और भारतीय नेता की गांवों के बारे में ऐसी सोच थी?

आंबेडकर का भारत को शहरी, औद्योगिक समाज में बदलने का लक्ष्य उन्हें आधुनिक यूरोप और अमेरिका के निर्माताओं के समकक्ष रखता है. उनके हिसाब से ग्रामीण भारत नंगे बदन वाला एक आदमी तो शहरी भारत कपड़े पहने व्यक्ति है. महात्मा गांधी सहित उनके ज्यादातर समकालीन गांवों को आदर्श मानते थे. लिहाजा ज्यादातर समकालीन लोग नवजागरण से पहले की चेतना में थे. अकेले आंबेडकर ने अतीत छोड़ भविष्य देखा. आंबेडकर के ज्यादातर समकालीन लोगों के लिए पश्चिम एक बुराई तो भारत जगतगुरु था.

Advertisement

(लेखक राजनैतिक टीकाकार और दलित इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री के सलाहकार हैं)

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement