इंडिया टुडे माइंडरॉक्स-2019 के मंच पर भारतीय क्रिकेट टीम के लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल ने हाल ही में खेले गए 2019 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में टीम इंडिया की हार के बारे में बातचीत की. चहल ने कहा, जब न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में धोनी भाई आउट होकर वापस लौट रहे थे तो वह पल बहुत ही दुखद था जिसे हम सभी भूलना चाहेंगे. चहल ने बताया कि धोनी के आउट होने के बाद लगा वर्ल्ड कप अब खत्म हो गया है.
चहल ने कहा कि वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में जब माही भाई को आउट होकर जाते हुए देखा तो वो काफी दुखद पल था. मेरी आंखों में आंसू थे. जो वर्ल्ड कप में हुआ उसे मैं भूलना चाहूंगा और टी-20 वर्ल्ड कप अगर भारत में आ जाए तो बहुत अच्छा होगा. शनिवार को माइंडरॉक्स-2019 में स्पोर्ट्स सेशन 'Expending Horizons: From World Class Chess to World Cup Cricket' के दौरान युजवेंद्र चहल ने अपने अनुभव साझा किए.
खुद को टीम से बाहर किए जाने पर क्या बोले चहल?
वेस्टइंडीज और साउथ अफ्रीका के खिलाफ लिमिटेड ओवरों की क्रिकेट सीरीज में युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव को शामिल नहीं किया गया. हालांकि इस बात से युजवेंद्र चहल निराश नहीं हैं. चहल का कहना है कि आपका जॉब है परफॉर्म करना, जब मैं और कुलदीप आए थे तो आईपीएल में 6-7 खिलाड़ी ऐसे मिले जो अच्छा खेलते थे.
चहल ने कहा, 'अगर टीम मैनेजमेंट अच्छे टैलेंटेड खिलाड़ियों को मौका दे रही है तो आपको पता चलता है कि आपका कॉम्पिटिशन जिससे है वो खिलाड़ी आ गया है और आपको अब और भी ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है. चहल ने कहा, 'मुझे 5-6 साल और क्रिकेट खेलना हैं.' चहल ने कहा, मैं वर्ल्ड कप को भूलना चाहूंगा लेकिन टी-20 वर्ल्ड कप घर आ जाए तो बहुत बेहतर हो जाएगा.'
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युजवेंद्र चहल एक ऐसा नाम जो वर्ल्ड क्रिकेट में रातों-रात मशहूर हो गया. जींद (हरियाणा) के इस लेग स्पिनर के पास शतरंज का दिमाग है, जिसे वह चेसबोर्ड पर आजमाया करते थे और अब क्रिकेट पिच पर उसका बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं. चहल क्रिकेट में डेब्यू से पहले शतरंज में भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की ओर से खेल चुके हैं.
युजवेंद्र चहल ने बताया शतरंज से क्रिकेट पिच तक का सफर
सीनियर एग्जीक्यूटिव एडिटर स्पोर्ट्स विक्रांत गुप्ता ने चहल से पूछा, 'आपने दो वर्ल्ड कप खेले हैं. शतरंज और क्रिकेट दोनों. कौन-सा आपके दिल के ज्यादा करीब है. इस पर चहल ने कहा कि चेस दिल के ज्यादा करीब है.' चहल ने कहा, 'जब मैं बॉलिंग करता हूं तो बैट्समैन को देखता हूं कि वो क्या कर रहा है. चहल ने कहा, मैं सोचता हूं कि बैट्समैन को कैसे आउट किया जा सकता है.'
चहल ने कहा, 'मैं जब 7 साल का था तब से मैदान पर जाने का शौक था. चहल ने कहा, 'मैंने बहुत संघर्ष किया, जिसमें मेरे पिता ने बहुत साथ दिया.' सात वर्ष की छोटी उम्र से ही चहल को शतरंज और क्रिकेट दोनों में गहरी रुचि थी. वे अंडर-12 में नेशनल चेस चैंपियन रहे. उन्होंने कोजीकोड में एशियन यूथ चैंपियनशिप में भाग लिया. इसके बाद चहल ने ग्रीस वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया.
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