भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 31 जुलाई से 15 अगस्त तक 106 टेरिटोरियल आर्मी बटालियन (पैरा) के साथ समय बिताएंगे. यह यूनिट कश्मीर में तैनात है और विक्टर फोर्स का हिस्सा है. धोनी इस दौरान गश्त, गार्ड और पोस्ट ड्यूटी करेंगे. क्रिकेटरों का सेना का हिस्सा बनना कोई नई बात नहीं है. महान बल्लेबाज सर डॉन ब्रैडमैन भी एक साल के लिए लेफ्टिनेंट पद पर रहे थे.
डॉन ब्रैडमैन ने जून 1940 में ऑस्ट्रेलियन एयरफोर्स ज्वाइन की थी. इसके बाद उनका ट्रांसफर ऑस्ट्रेलियन आर्मी में कर दिया गया. संक्षिप्त ट्रेनिंग के बाद उन्हें लेफ्टिनेंट का पद दिया गया. वह फिजिकल ट्रेनिंग ऑफिसर बनाए गए, लेकिन कमर में परेशानी की वजह से उन्हें 1941 में यह जिम्मेदारी छोड़नी पड़ी.
1938 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 'द ओवल' में 364 रनों की पारी (20 साल तक रिकॉर्ड रहा) खेलने वाले इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाज लेन हटन भी सेना से जुड़े थे. उन्होंने सेना के फिजिकल ट्रेनिंग सार्जेंट इंस्ट्रक्टर के तौर पर अपनी सेवाएं दीं. इस दौरान उनकी कलाई में चोट लग गई थी. यही वजह है कि वह अपने करियर के दौरान हुक शॉट नहीं खेल पाए.
इतना ही नहीं, भारत के पहले टेस्ट कप्तान सीके नायडू को 1923 में होल्कर राजा ने इंदौर आमंत्रित किया और उन्हें अपनी सेना में कर्नल का पद दिया था. जबकि लेफ्टिनेंट कर्नल हेमू अधिकारी का टेस्ट करियर दूसरे विश्व युद्ध के कारण देर से शुरू हुआ था.
ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर और फाइटर पायलट कीथ मिलर ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पायलट के तौर अपनी सेवाएं दी थीं.
धोनी 2015 में क्वालिफाइड पैराट्रूपर बने. उन्होंने आगरा स्थित ट्रेनिंग कैंप में ट्रेनिंग के रूप में आर्मी के विमान से पांच बार पैराशूट के साथ कूद लगाई थी. कश्मीर घाटी में उनकी यूनिट दक्षिण कश्मीर के अवंतीपोरा में विक्टर फोर्स का हिस्सा है, जो पिछले कुछ वर्षों से आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र रहा है.
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