धीरे धीरे जब हमने देश के विकास के लिए मनरेगा के ढोल को जोर देकर बजाना शुरू किया और नट बोल्ट कसने का काम भी शुरुआत की तो दो हज़ार चौबीस पच्चीस आते आते महसूस हुआ कि पुराना तरीका अब काम का नहीं रहा है. उसे बदलने और नया तरीका अपनाने की ज़रूरत है. हमने यह नया परिवर्तन शुरू किया. आज वबजी रामजी इलाके का महत्व बढ़ गया है और यह देश की भी आवश्यकता बन गया है क्योंकि जो बदलाव दो हज़ार पच्चीस और छब्बीस में होने हैं वे छोटे स्तर के भारत जैसे चार-पांच साल पुराने नहीं हैं.