जिन पत्थरों को कुल देवता समझकर पूजते रहे, वे निकले डायनासोर के अंडे; साइंटिस्ट भी हैरान

MP News: वैज्ञानिकों ने देखा कि गांव के लोग करीब 18 सेंटीमीटर व्यास के गोल पत्थरों की पूजा करते हैं. एक जानकार ग्रामीण वेस्ता पटेल ने बताया कि गोल पत्थरों में उनके काकर भैरव वास करते हैं. यह देव पूरे गांव पर कोई संकट नहीं आने देते हैं.

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डायनासोर का अंडा. डायनासोर का अंडा.

aajtak.in

  • धार ,
  • 20 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 3:52 PM IST

MP News: धार जिले के पाड़लिया गांव में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. गांववाले सालों से जिन पत्थरों को कुल देवता मानकर पूजा अर्चना कर रहे थे, वो करोड़ों वर्ष पहले के डायनासोर के अंडे निकले. दरअसल, नर्मदा घाटी का यह इलाका करोड़ों वर्ष पहले डायनासोर युग से जुड़ा रहा है और यहां पर करीब 6.5 करोड़ साल पहले डायनासोर का क्षेत्र हुआ करता था. हालांकि, अब प्रशासन हरकत में आकर अंडों की जांच कर रहा है. 

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स्थानीय डायनासोर विशेषज्ञ  विशाल वर्मा ने बताया कि कुछ दिन पहले तीन वैज्ञानिकों का वर्कशॉप आयोजित किया गया था. इस वर्कशॉप में वैज्ञानिक डॉ. महेश ठक्कर, डॉ. विवेक वी कपूर, डॉ. शिल्पा आए हुए थे. ये सभी मांडू स्थित डायनासोर फॉसिल्स पार्क के विकास कार्य का जायजा लेने के लिए भी आए थे. 

इसी दौरान वैज्ञानिकों ने देखा कि गांव के लोग करीब 18 सेंटीमीटर व्यास के गोल पत्थरों की पूजा करते हैं. एक जानकार ग्रामीण वेस्ता पटेल ने बताया कि गोल पत्थरों में उनके काकर भैरव वास करते हैं. यह देव पूरे गांव पर कोई संकट नहीं आने देते हैं.

लखनऊ से आई वैज्ञानिकों की टीम ने जब जांच की तो पता चला कि गोल पत्थरनुमा आकृति तो डायनासोर के अंडे हैं. इनकी गांव के लोगा देवता मानकर पूजा कर रहे थे. देखें Video:-

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जानकारों का मानना है कि नर्मदा घाटी के क्षेत्र में डायनासोर के फॉसिल्स जगह जगह दबे-बिखरे पड़े हैं. मांडू में इसी उद्देश्य से पार्क बनाया जा रहा है ताकि फॉसिल्स को संरक्षित किया जा सके. (रिपोर्ट: छोटू शास्त्री)

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