कब है निर्जला एकादशी? विधिवत पूजन के साथ करें एकादशी की आरती

इस वर्ष निर्जला एकादशी 2 जून (मंगलवार) को पड़ रही है. इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करते हैं. इसके बाद निर्जला एकदाशी की आरती उतारी जाती है.

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निर्जला एकादशी 1 जून को दोहपर 2 बजकर 57 मिनट से 2 जून 12 बजकर 04 मिनट तक रहेगी निर्जला एकादशी 1 जून को दोहपर 2 बजकर 57 मिनट से 2 जून 12 बजकर 04 मिनट तक रहेगी

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 जून 2020,
  • अपडेटेड 4:56 PM IST

हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का बड़ा महत्व है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का उपवास करने से परम पुण्य का फल प्राप्त होता है. इस वर्ष निर्जला एकादशी 2 जून (मंगलवार) को पड़ रही है. इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करते हैं. इसके बाद निर्जला एकदाशी की आरती उतारी जाती है. निर्जला एकादशी 1 जून को दोहपर 2 बजकर 57 मिनट से 2 जून को 12 बजकर 04 मिनट तक रहेगी. आइए आपको निर्जला एकदाशी की पूरी आरती के बारे में बताते हैं.

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एकादशी की पूरी आरती

ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।

विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।

गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।

मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।

शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,

शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।

शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।

विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,

पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,

नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।

शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,

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नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।

योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।

देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।

श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।

इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।

पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।

रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।

पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।

शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।

जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।

जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।

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