इस विधि से करें भगवान नृसिंह की पूजा, समस्याओं से मिलेगी मुक्ति

भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के पांचवे अवतार हैं. इनकी उपासना करने से हर प्रकार के संकट और दुर्घटना से रक्षा होती है.

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प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 मई 2019,
  • अपडेटेड 7:25 AM IST

भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के पांचवे अवतार हैं. अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था. इनका प्राकट्य खम्बे से गोधूली वेला के समय हुआ था. भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के उग्र और शक्तिशाली अवतार माने जाते हैं. इनकी उपासना करने से हर प्रकार के संकट और दुर्घटना से रक्षा होती है. साथ ही हर प्रकार के मुक़दमे, शत्रु और विरोधी शांत होते हैं. तंत्र - मंत्र की बाधाएं भी समाप्त होती हैं. इस बार भगवान नृसिंह की उपासना 17 मई को की जाएगी.

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कैसे करें भगवान नृसिंह की पूजा?

- प्रातःकाल उठकर घर की साफ़ सफाई करें. घर को साफ़ सुथरा बनाएं.  

- दोपहर के समय तिल, मिट्टी और आंवले को शरीर पर मलकर शुद्ध जल से स्नान करें.

- भगवान नृसिंह के चित्र के सामने दीपक जलाएं.

- उन्हें प्रसाद और लाल फूल अर्पित करें.

- इसके बाद अपनी मनोकामना कहकर भगवान नृसिंह के मन्त्रों का जाप करें.

- भगवान के मन्त्रों का जाप मध्य रात्रि में भी करना उत्तम होगा.

- व्रत के दिन जलाहार या फलाहार करना उत्तम होगा.

- अगले दिन निर्धनों को अन्न-वस्त्र का दान करकर व्रत का समापन करें.

मुक़दमे में विजय और विरोधियों को शान्त करने के लिए क्या पूजा करें?

- भगवान नृसिंह को लाल पुष्प अर्पित करें.

- एक लाल रेशमी धागा भी अर्पित करें.

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- उनके सामने घी का चौमुखी दीपक जलाएं.

- इसके बाद विशेष मन्त्र का जाप करें.

- मंत्र होगा- " ॐ नृ नृसिंहाय शत्रु भुज बल विदीर्णाय स्वाहा"  

- अर्पित किए हुए धागे को दाहिने कलाई में धारण करें.

कर्ज मुक्ति और धन प्राप्ति का उपाय-

- भगवान के समक्ष तीन दीपक जलाएं.

- उन्हें उतने लाल फूल अर्पित करें जितनी आपकी उम्र है.  

- लक्ष्मी नृसिंह स्तोत्र का पाठ करें.

- ऐसा करने से कर्ज से राहत मिलेगी.  

आयु रक्षा और सर्वकल्याण के लिए क्या उपाय करें?

- उन्हें पीली वस्तुओं का भोग लगाएं.

- इसके बाद विशेष मन्त्र का कम से कम 108 बार जाप करें.

- मंत्र होगा...

"उग्रं वीरं महाविष्णुम, ज्वलन्तं सर्वतोमुखम।

नृसिंहम भीषणं भद्रं, मृत्योर्मृत्यु नमाम्यहम।।"

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