हमारा सौरमंडल 8 ग्रहों से बना हुआ है. सौरमंडल का हिस्सा हमारी धरती भी है. यह सूर्य से तीसरा ग्रह है. हमारी पृथ्वी के चारों तरफ चंद्रमा घूमता है. चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह है और यह पृथ्वी का चक्कर अंडाकार कक्षा में काटता है. पृथ्वी, सूरज और चंद्रमा की गतियों की वजह से ग्रहण पढ़ते हैं. यह छाया का साधारण सा खेल है जो सौरमंडल में होता रहता है.
चंद्र ग्रहण क्यों होता है?
इसका सीधा सा जवाब है कि चंद्रमा का पृथ्वी की ओट में आ जाना. उस स्थिति में सूर्य एक तरफ, चंद्रमा दूसरी तरफ और पृथ्वी बीच में होती है. जब चंद्रमा धरती की छाया से निकलता है तो चंद्र ग्रहण पड़ता है.
चंद्रग्रहण पूर्णिमा के दिन ही पड़ता है
चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन पड़ता है लेकिन हर पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता है. इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा का झुके होना. यह झुकाव तकरीबन 5 डिग्री है इसलिए हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता. उसके ऊपर या नीचे से निकल जाता है. यही बात सूर्यग्रहण के लिए भी सच है. सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन होते हैं क्योंकि चंद्रमा का आकार पृथ्वी के आकार के मुकाबले लगभग 4 गुना कम है. इसकी छाया पृथ्वी पर छोटी आकार की पड़ती है इसीलिए पूर्णता की स्थिति में सूर्य ग्रहण पृथ्वी के एक छोटे से हिस्से से ही देखा जा सकता है.लेकिन चंद्र ग्रहण की स्थिति में धरती की छाया चंद्रमा के मुकाबले काफी बड़ी होती है. लिहाजा इससे गुजरने में चंद्रमा को ज्यादा वक्त लगता है.
भारत में आधी रात को दिखेगा चंद्रग्रहण
चंद्र ग्रहण पूरी दुनिया में एक साथ ही शुरू होता है और एक साथ ही खत्म होता है लेकिन यह इस बात पर निर्भर है कि वहां पर रात्रि का कौन सा समय चल रहा है. कहीं शाम को चंद्रोदय के वक्त या उसके बाद दिखेगा और कहीं सुबह चंद्रास्त के आस-पास होगा लेकिन भारत की बात करें तो यहां पर चंद्र ग्रहण मध्य रात्रि में शुरू हो रहा है. लिहाजा देश के सभी स्थानों पर यह एक साथ शुरू होगा और एक साथ ही खत्म होगा.
प्रज्ञा बाजपेयी