हर घर का नामकरण करके बोर्ड और नेमप्लेट लगाना चाहिए. इससे प्रतिष्ठा बढ़ती है धन यश सम्मान मिलता है. नेमप्लेट से इंसान की पहचान बनती है. जो आपसे मिलने आता है. नेमप्लेट देखकर इम्प्रेस होता है. अपने घर का नामकरण करें. अपने घर के नाम का नेमप्लेट लगाएं. जैसे लोग लिखते हैं- राज निवास, आस्था कुटीर, लाल कोठी, रंग महल आदि. कुछ लोग भगवा के नाम पर घर का नामकरण करते हैं- जैसे शंकर निवास, लक्ष्मी कोठी, कृष्ण कुञ्ज, हरिधाम आदि.
हर इंसान को अपने मकान का नाम कारण कर मुख्य द्वार पर बोर्ड लगाना चाहिए -इससे आपका रुतवा बढ़ेगा. वास्तु के अनुसार ढंग से नेमप्लेट लगाया जाय तो सूर्य ग्रह बहुत बलवान हो जाता है. व्यक्ति की बहुत तरक्की होती है, मान सम्मान बढ़ता है. वह बहुत मालामाल हो जाता है.
कैसी होनी चाहिए नेमप्लेट-
नेमप्लेट साफसुथरी होनी चाहिए
2 लाइन की होनी चाहिए
नेमप्लेट प्रवेश दरवाजे में बायीं तरफ लगाएं
पूरा नाम होना चाहिए
आपका पद भी साफ़ अक्षर होने चाहिए
दरवाजे पर आधे से ऊँचे लगाएं
आयताकार होना चाहिए. गोल, तिकोना या गोलाकार नहीं होने चाहिए
नेमप्लेट टूटा फूटा ,ढीला ना हो. नेमप्लेट में छेद ना हो
हिलानेवाला नेमप्लेट ना हो --उसपर फूल पशु पक्षी न बने हो
नेमप्लेट पर धूल मिटटी या मकड़े के जले ना हो
नेमप्लेट का रंग घर के मुखिया के राशि अनुसार होना चाहिए
अक्षर और नम्बर की गणना ठीक से करें
नेमप्लेट कैसा हो
नेमप्लेट के बोर्ड पर गणेश जी बने होने चाहिए
नेमप्लेट बोर्ड पर स्वस्तिक ए ॐ बना होना चाहिए
ऑरेंज कलर का हप अच्छा होगा
नेमप्लेट को रविवार को लगाएं
धूप दीपक जलाकर ही लगाएं
नेमप्लेट किसी धातु या लकड़ी दोनों की हो सकती है
नेमप्लेट बनाने और लगनेवाले को अच्छा इनाम दें
नेमप्लेट पर रौशनी अच्छी आये --अन्धेरा ना हो
दो नेमप्लेट साथ साथ ना हों
दो नेम प्लेट लगनी हो तो
ऊपर बड़ी और नीचे छोटीवाली लगाएं
नेमप्लेट पर कोई परफ्यूम या इतर छिडकते रहें
नेमप्लेट कैसी हो
नेमप्लेट के पीछे मकड़ी ,छिपकिली ,चिड़िया कीड़ों आदि
जीव जंतु न रहते हो
काली चींटियां घूमना शुभ माना जाता है
नेमप्लेट में छपे अक्षर ढीले ,घिसे हुए या टूटे ना हो
कुछ टूटना शुभ नही माना जाता है
टूटे नेमप्लेट को तुरंत बदल दो
नेमप्लेट की स्थापना के बाद पूजा करने चाहिए
किसी पुजारी या महिला इसे स्पर्श करके पूजा करें
लड्डू बांटना चाहिए
किसी तीज त्यौहार ,दिवाली ,शुभ कामो में नेमप्लेट की भी पूजा करें
नेमप्लेट को दुर्वा घास से छूकर बहते पानी में बहाएं.
प्रज्ञा बाजपेयी