भगवान शिव भोले स्वभाव के होने के कारण अपने भक्तों पर जल्द प्रसन्न हो जाते हैं. यही वजह है कि उनके भक्त उन्हें भोलेनाथ कहकर बुलाते हैं. कहा जाता है कि भगवान शिव की शिव चालीसा का पाठ करके उनका कोई भी भक्त उन्हें बड़ी आसानी से मनाकर मनचाहा वरदान पा सकता है.
इतना ही नहीं शिव चालीसा का पाठ करने से कठिन से कठिन कार्य को बहुत ही आसानी से किया जा सकता है. शिव चालीसा की 40 पंक्तियां सरल शब्दों में विद्यमान हैं, जिनकी महिमा बहुत ही ज्यादा है. शिव चालीसा का पाठ करने से आप बड़े से बड़े रोग से भी मुक्ति पा सकते हैं.
शिव चालीसा का सरल विधि से पाठ करने से दूर होंगी भयंकर बीमारियां-
- सोमवार के दिन जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहने.
- अपना मुंह पूर्व दिशा में रखें और साफ आसन पर बैठें.
-पूजन में धूप दीप/ सफेद चंदन /माला और सफेद आक के 5 फूल भी रखे और मिश्री को प्रसाद के तौर पर रखें.
- पाठ करने से पहले गाय के घी का दिया जलायें और एक लोटे में शुद्ध जल भरकर रखें.
- शिव की शिवचालिसा का 5 बार पाठ करें.
- शिव चालीसा का पाठ बोल बोलकर करें जितने लोगों को यह सुनाई देगा उनको भी लाभ होगा.
-शिव चालीसा का पाठ पूर्ण भक्ति भाव से करें और भगवान शिव को प्रसन्न करें.
-पाठ पूरा हो जाने पर लोटे का जल सारे घर मे छिड़क दें और बीमार व्यक्ति को पिलाएं. थोड़ा सा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के रूप में खाएं औऱ बच्चों में भी बाट दें.
शिव चालीसा का पाठ करने से मिलते हैं अद्भुत लाभ-
- शिव चालीसा का पाठ करने से मन का भय दूर होता है. इसके लिए इस मंत्र का जाप करें.
जय गणेश गिरीजा सुवन' मंगल मूल सुजान|
कहते अयोध्या दास तुम' देउ अभय वरदान||
- इस पंक्ति को 21 बार सुबह उठकर भगवान शिव के सामने पड़े. लगातार 40 दिन तक यह करते रहें.
-सारे संकट दुख दूर करने के लिए करें ये उपाय-
देवन जबहिं जाय पुकारा' तबहिं दुख प्रभु आप निवारा||
- इस पंक्ति को 27 बार रात्रि में पढ़ कर सोएं और कार्य सिद्ध हो जाने पर निर्धन लोगों को सफेद मिठाई जरूर बाटें.
-शिव चालीसा से मिलेगा मनचाहा वरदान-
- सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में एक सफेद आसन पर बैठें.
- उत्तर पूर्व या पूर्व दिशा की तरफ मुंह करें.
- गाय के घी का दिया जला कर शिव चालीसा का पाठ करें.
- पूजा में जल का पात्र रखे और मिश्री का भोग लगाएं.
-एक बेलपत्र सफेद चंदन लगाकर उल्टा करके शिवलिंग पर अर्पण करें.
- भगवान शिव के सामने मनचाहे वरदान की इच्छा करें और यह पाठ 40 दिन लगातार करें.
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