इस घटना ने मारुति नंदन को दे दिया हनुमान का नाम, रोचक किस्सा

संकटमोचन कहलाने वाले भगवान हनुमान की जयंती 19 अप्रैल शुक्रवार को मनाई जाएगी. बता दें, चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं. माना जाता है कि इस दिन कोई भी नया काम  शुरू करना बेहद शुभ होता है. आइए इस खास मौके पर जानते हैं केसरी नंदन मारुति का नाम आखिर हनुमान कैसे पड़ गया.

Advertisement
प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो

मंजू ममगाईं / aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST

संकटमोचन कहलाने वाले भगवान हनुमान की जयंती 19 अप्रैल शुक्रवार को मनाई जाएगी. बता दें, चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जी के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं. माना जाता है कि इस दिन कोई भी नया काम  शुरू करना बेहद शुभ होता है. आइए इस खास मौके पर जानते हैं केसरी नंदन मारुति का नाम आखिर हनुमान कैसे पड़ गया.

सबसे पहले बात करते हैं हनुमान जयंती के दिन रहने वाले शुभ मुहूर्त की, जिसमें आप कोई भी शुभ कार्य करके इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं.

Advertisement

हनुमान जयंती तिथि - शनिवार, 16 अप्रैल 2022

पूर्णिमा तिथि आरंभ - 02:24  (16 अप्रैल 2022)

पूर्णिमा तिथि समाप्त - 00:24 (17 अप्रैल 2022)

केसरी नंदन मारुति से ऐसे बने भगवान हनुमान-

हिंदू धर्म के अनुसार हनुमान यह घटना हनुमान जी के बाल्यावस्था की है. एक दिन जब मारुति अपनी नींद से जागे तो उन्हें तेज भूख लगने लगी. उन्होंने कुछ खाने के लिए अपने आस-पास देखा. जिसके बाद उन्हें एक पेड़  पर लाल पका फल लगा दिखा. अपनी भूख मिटाने के लिए मारुति उस फल को खाने के लिए निकल पड़े. दरअसल मारुति को जो पेड़ पर लगा लाल फल लग रहा था वो कोई और नहीं बल्कि स्वंय सूर्यदेव थे. जिस दिन यह घटना हुई वह दिन अमावस्या का था और राहू सूर्य को ग्रहण लगाने वाले थे. लेकिन वो ऐसा कर पाते इसे पहले ही हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया. इसके बाद राहु ने इस विषय पर इंद्र देव से सहायता मांगी.

Advertisement

इंद्रदेव के बार-बार आग्रह करने पर भी जब हनुमान जी ने बाल हट में सूर्यदेव को मुक्त नहीं किया तो गुस्से में इंद्र ने उऩके चेहरे पर अपने बज्र से प्रहार कर दिया. जिसकी वजह से सूर्यदेव तो मुक्त हो गए लेकिन उनके प्रहर से मारुति मूर्छित होकर आकाश से धरती की तरफ गिर पड़े. जिसके बाद पवनदेव इस घटना से क्रोधित होकर मारुति को एक गुफा में ले जाकर अंतर्ध्यान हो जाते हैं. जिसकी वजह से पृथ्वी पर जीवों में त्राहि- त्राहि मच उठती है.

इस विनाश को रोकने के लिए सारे देवगण पवनदेव से आग्रह करते हैं कि वे अपने क्रोध को त्याग कर पृथ्वी पर प्राणवायु का प्रवाह करें. जिसके बाद सभी देव मारुति को वरदान में कई दिव्य शक्तियां प्रदान करते हैं और साथ ही वरदान देते हैं कि मारुति को उनके भक्त हनुमान नाम से पूजेंगे.उस दिन से मारुति का नाम हनुमान पड़ गया. इस पूरी घटना की खूबसूरत व्याख्या तुलसीदास की हनुमान चालीसा में की गई है.

हनुमान जयंती व्रत पूजा विधि

इस  व्रत को रखने वाले व्यक्ति को कुछ खास नियमों का पालन करना होता है. व्रत रखने वाले व्रत की पूर्व रात्रि से ब्रह्मचर्य का पालन करें.कोशिश करें कि जमीन पर ही सोये.

Advertisement

-प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्रभू श्री राम, माता सीता व श्री हनुमान का स्मरण करें.

-हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करके उसकी विधिपूर्वक पूजा करें. पूजा करते समय हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें.इसके बाद हनुमान जी की आरती उतारें.

- शाम को लाल वस्त्र बिछाकर हनुमान जी की मूर्ति या फोटो को दक्षिण मुंह करके स्थापित करें.  

- खुद लाल आसान पर लाल वस्त्र पहनकर बैठ जाएं.  

- घी का दीपक और चंदन की अगरबत्ती या धूप जलाएं.  

- चमेली तेल में घोलकर नारंगी सिंदूर और चांदी का वर्क चढ़ाएं.  

- इसके बाद लाल फूल से पुष्पांजलि दें.  

- लड्डू या बूंदी के प्रसाद का भोग लगाएं.

- केले का भोग भी लगा सकते हैं.  

- दीपक से 9 बार घुमाकर आरती करें.  

- मन्त्र ॐ  मंगलमूर्ति  हनुमते नमः का जाप करें.

हनुमान जयंती के दिन बजरंगबली की विधिवत पूजा पाठ करने से शत्रु पर विजय मिलने के साथ सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement