चाणक्य नीति: विष के समान होता है ऐसे इंसान का पूरा शरीर, साथ देने वाला हो जाता है बर्बाद

Chanakya Niti In Hindi (चाणक्य नीति): आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में मनुष्य की प्रवृति के बारे में बताया है. चाणक्य की नीतियों को जीवन में उतारकर मनुष्य कठिन दौर में भी आसानी से आगे बढ़ सकता है. वो कहते हैं कि कुछ लोगों की प्रवृति और स्वभाव ऐसा होता है कि वो किसी के सगे नहीं हो पाते. आइए जानते हैं चाणक्य ने किस प्रकार के मनुष्य के बारे में यह बात कही है...

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Chanakya Niti In Hindi (चाणक्य नीति) Chanakya Niti In Hindi (चाणक्य नीति)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 जून 2020,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में मनुष्य की प्रवृति के बारे में बताया है. चाणक्य की नीतियों को जीवन में उतारकर मनुष्य कठिन दौर में भी आसानी से आगे बढ़ सकता है. वो कहते हैं कि कुछ लोगों की प्रवृति और स्वभाव ऐसा होता है कि वो किसी के सगे नहीं हो पाते. आइए जानते हैं चाणक्य ने किस प्रकार के मनुष्य के बारे में यह बात कही है...

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तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायास्तु मस्तके।

वृश्चिकस्य विषं पुच्छे सर्वाङ्गे दुर्जने विषम्।।

चाणक्य ने इस श्लोक में दुष्ट व्यक्ति की तुलना विषैले जीवों से की है. चाणक्य के मुताबिक जिस प्रकार सांप, बिच्छू और मधुमक्खी विषैले होते हैं उसी प्रकार दुष्ट व्यक्ति भी विष से युक्त होते हैं.

चाणक्य इनमें अंतर बताते हुए कहते हैं कि सांप का विष उसके दांत में, मधुमक्खी का विष उसके मस्तक में और बिच्छू की विष उसकी पूंछ में होता है. लेकिन दुष्ट व्यक्ति का पूरा शरीर विषैला होता है.

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दुष्ट व्यक्ति की संगत में आने वाला कोई भी व्यक्ति उसके दुष्प्रभाव से बच नहीं सकता. इसलिए चाणक्य दुष्ट व्यक्ति से दूर रहने की सलाह देते हैं. उनके मुताबिक दुष्ट व्यक्ति कभी आपका भला नहीं सोच सकता. अगर आप उसकी भलाई भी करेंगे तो मौके का फायदा उठाकर वो व्यक्ति आपको नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए ऐसे लोगों से दूर रहने में ही भलाई है.

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