Chandra Grahan 2018: जानें सदी के सबसे लंबे चंद्रग्रहण का समय

चंद्रग्रहण (Chandra Grahan date and time) एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है. 21वीं सदी का सबसे लंबा खग्रास चंद्रग्रहण 27 जुलाई को होने वाला है. इतना ही नहीं, 11 अगस्त 2018 को खंडग्रास सूर्यग्रहण भी पड़ेगा जो पूरे 3 घंटे 55 मिनट का होगा. इस बार का चंद्रग्रहण इसलिए और खास है क्योंकि इस दिन गुरु पूर्णिमा भी है. इस चंद्रग्रहण को देश के सभी हिस्सों से देखा जा सकेगा. भारत के अलावा ये चंद्रग्रहण ऑस्ट्रेलिया, एशियाई देश और रूस में भी दिखेगा.

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सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण (Chandra Grahan 2018) सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण (Chandra Grahan 2018)

प्रज्ञा बाजपेयी

  • नई दिल्ली,
  • 24 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 4:10 PM IST

चंद्रग्रहण (Chandra grahan) एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है. 21वीं सदी का सबसे लंबा खग्रास चंद्रग्रहण 27 जुलाई को होने वाला है. इतना ही नहीं, 11 अगस्त 2018 को खंडग्रास सूर्यग्रहण भी पड़ेगा जो पूरे 3 घंटे 55 मिनट का होगा. इस बार का चंद्रग्रहण इसलिए और खास है क्योंकि इस दिन गुरु पूर्णिमा भी है. इस चंद्रग्रहण को देश के सभी हिस्सों से देखा जा सकेगा. भारत के अलावा ये चंद्रग्रहण ऑस्ट्रेलिया, एशियाई देश और रूस में भी दिखेगा.

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भारत में कब दिखेगा चंद्रग्रहण/Chandra Grahan Date and Time in India

27 जुलाई 2018 का चंद्रग्रहण भी 21वीं सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण रहने वाला है. इसकी कुल अवधि 6 घंटा 14 मिनट रहेगी. इसमें पूर्णचंद्र ग्रहण की स्थिति 103 मिनट तक रहेगी. भारत में यह लगभग रात्रि 11 बजकर 55 मिनट से स्पर्श कर लगभग 3 बजकर 54 मिनट पर पूर्ण होगा. इस चन्द्र ग्रहण में सुपर ब्लड ब्लू मून का नजारा भी दिखेगा. चंद्र ग्रहण के समय चांद ज्यादा चमकीला और बड़ा नजर आएगा इसमें पृथ्वी के मध्यक्षेत्र की छाया चंद्रमा पर पड़ेगी.

क्या होता है चंद्रग्रहण/What is Lunar Eclipse?

जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो सूर्य की पूरी रोशनी चंद्रमा पर नहीं पड़ती है. इसे चंद्रग्रहण कहते हैं. जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सरल रेखा में होते हैं तो चंद्रग्रहण की स्थिति होती है. चंद्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा की रात में ही होता है. एक साल में अधिकतम तीन बार पृथ्वी के उपछाया से चंद्रमा गुजरता है, तभी चंद्रग्रहण लगता है. सूर्यग्रहण की तरह ही चंद्रग्रहण भी आंशिक और पूर्ण हो सकता है.

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पौराणिक मान्यता/Chandra Grahan Beliefs

हिंदू धर्म में ग्रहण को लेकर कई तरह की पौराणिक मान्यताएं हैं. चंद्र ग्रहण के पीछे भी एक कहानी प्रचलित है. कहा जाता है कि एक बार राहु (असुर) और देवताओं (भगवान) के बीच लड़ाई हो रही थी. देवता और राक्षस दोनों ही अमरता का वरदान प्राप्त करना चाहते थे और अमृत को प्राप्त करना चाहते थे. तभी विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण करके राहु को मोहित कर लिया और उससे अमृत हासिल कर लिया.

राहु ने भी अमृत पाने के लिए देवताओं की चाल चलने की सोची. उसने देवता का भेष धारण किया और अमृत बंटने की पंक्ति में अपनी बारी का इंतजार करने लगा. लेकिन सूर्य और चंद्रमा ने उसे पहचान लिया. विष्णु भगवान ने राहु का सिर काट दिया और वह दो ग्रहों में विभक्त हो गया- राहु और केतु. सूर्य और चंद्रमा से बदला लेने के लिए राहु ने दोनों पर अपना छाया छोड़ दी जिसे हम सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के नाम से जानते हैं. इसीलिए ग्रहण काल को अशुभ और नकारात्मक शक्तियों के प्रभावी होने का समय माना जाता है.

चंद्रग्रहण के दौरान क्या करें और क्या ना करें/Do and Dont's on Chandra Grahan

ग्रहण के समय देवपूजा को भी निषिद्ध बताया गया है. इसी कारण अनेक मंदिरों के कपाट ग्रहण के समय बंद कर दिए जाते हैं.  ग्रहण के 12 घंटे से पूर्व ही सूतक लगने के कारण मंदिरों के पट भी बंद कर दिये जाते है. ऐसे में पूजा, उपासना या देव दर्शन करना वर्जित है.

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सूतक के समय भोजन आदि ग्रहण नहीं करना चाहिए और जल का भी सेवन नहीं करना चाहिए. ग्रहण से पहले ही जिस पात्र में पीने का पानी रखते हों उसमें कुशा और तुलसी के कुछ पत्ते डाल देने चाहिए. कुशा और तुलसी में ग्रहण के समय पर्यावरण में फैल रहे जीवाणुओं को संग्रहित करने की अद्भुत शक्ति होती है.

ग्रहण के बाद पानी को बदल लेना चाहिए. अनेक वैज्ञानिक शोधों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि ग्रहण के समय मनुष्य की पाचन शक्ति बहुत शिथिल हो जाती है. ऐसे में यदि उनके पेट में दूषित अन्न या पानी चला जाएगा तो उनके बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है.

26 जुलाई 1953 को पड़ा था 20वीं सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण (Century longest lunar eclipse

26 जुलाई 1953 को बीसवीं सदी का सबसे लंबा चंद्रग्रहण पड़ा था. यह पूर्णावस्था में लगभग 101 मिनट रहा. इसका कुल ग्रहण समय 5 घंटा 27 मिनट था.

चंद्रग्रहण और विनाश की भविष्यवाणियां-

ज्योतिष में चंद्रग्रहण को नकारात्मक प्रभाव वाला माना जाता है. पंडित अरुणेश कुमार शर्मा के मुताबिक, 27 जुलाई को होने वाले चंद्रग्रहण के परिणामस्वरूप कई विनाशकारी घटनाएं घटित होने की आशंका है. पंडित अरुणेश कुमार शर्मा के मुताबिक, लगातार तीन ग्रहणों में खग्रास चंद्रग्रहण का ज्योतिषीय प्रभाव गहरा होना संभावित है. विशेषतः कर्क रेखा क्षेत्र में विनाशकारी भूकंप, सुनामी, चक्रवात, ज्वालामुखी विस्फोट एवं आगजनी की घटनाएं हो सकती हैं. भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, चीन, ताइवान, संयुक्त राज्य अमेरिका का हवाई द्वीप, मैक्सिको, बहामास, मुरितानिया, माली, अल्जीरिया, नाइजर, लीबिया, चाड, मिस्त्र, सउदी अरब, यूएई और ओमान देश प्रमुखता से आते हैं.

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ज्योतिषाचार्य पंडित अरुणेश कुमार शर्मा ने बताया कि ग्रहण महज सूर्य प्रकाश से निर्मित छाया में सूर्य और चंद्रमा के नजर न आने की घटना मात्र नहीं है. सूर्य के साथ संपूर्ण सौरमंडल 70 हजार किलोमीटर की गति से आगे बढ़ रहा है. ग्रहों-उपग्रहों को इससे तालमेल बनाए रखना होता है. ज्योतिष में पृथ्वी के लिए राहु-केतु वे छायाग्रह हैं जिनके जुड़ाव में सूर्य और चंद्रग्रहण बनते हैं. ये सौरमंडल के वे नोडल पाइंट हैं जहां पृथ्वी और चंद्रमा सूर्य की एक सीध में आकर ऑटो-करेक्शन लेते हैं. इसमें चंद्र व पृथ्वी की कक्षाएं सुव्यवस्थित होती हैं. इससे अंतरिक्षीय गुरुत्वीय तरंग प्रभावित होने और ग्रहादि के स्पेस शिफ्ट की आशंका बढ़ जाती है. इससे भूकंप, चक्रवात, ज्वालामुखी व सुनामी की आशंका के अलावा उपग्रहों और विमानों के गड़बड़ाने की आशंका भी बढ़ जाती है. ज्योतिषानुसार यह प्रभाव हर जीव और जड़ पर पड़ता है. इसी कारण इस दौरान गहन शारीरिक-मानसिक कार्यों से बचने सलाह दी जाती है. अग्निकर्म व मशीनरी के प्रयोग को त्याज्य माना जाता है. सनातनी परम्परा में देवदर्शन और यज्ञादि कर्म निषेध रखे जाते हैं. सहज मुद्रा में भजन-कीर्तन और जप के माध्यम से ईश्वर को याद किया जाता है.

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