ग्रहदोष, बीमारी और धन की समस्या... स्कंदमाता की पूजा में करें ये एक उपाय, दूर हो जाएंगी सारी परेशानियां

नवरात्रि के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा का महत्व है. देवी को अलसी औषधि का रूप माना जाता है दो कि वात, पित्त और कफ दोषों को दूर करती है, मन को शांति देती है और संतान संबंधी समस्याओं में लाभकारी है

Advertisement
नवरात्रि के पांचवें दिन देवी दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा का विधान है नवरात्रि के पांचवें दिन देवी दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा का विधान है

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:32 AM IST

नवरात्रि की नौ देवियों की पूजा का अनुष्ठान जारी है. इन नौ दिनों में देवी के एक-एक खास स्वरूप की पूजा होती है. पांचवें दिन देवी के स्कंद माता स्वरूप की पूजा होती है. देवी का यह स्वरूप मातृत्व का है. इस रूप में वह संसार के सभी बच्चों की रक्षा करती हैं और देवी के लिए सारा संसार ही उनका बच्चा है, उनकी संतान है इसलिए वह विश्वमाता हैं, जग्नामाता हैं और इसी स्वरूप से उन्हें जगदंबा नाम मिला है. आज के विशेष दिन देवी को अलसी औषधि, जो कि एक अनाज है उसे अर्पित कर सकते हैं. यह आपके लिए ग्रहदोष दूर करेगा, धनलाभ और स्वास्थ्य लाभ कराएगा.

Advertisement

 

नवरात्रि के पर्व का आयुर्वेद के साथ गहरा संबंध है, बल्कि यह नौ दिन का अनुष्ठान ही आरोग्य के लिए ही होता है. शरद ऋतु की शुरुआत में पड़ने वाली यह नवरात्रि सिर्फ पूजा या अनुष्ठान का समय नहीं है, बल्कि यह एक तरीके से आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक कायाकल्प का समय होता है. नवरात्रि का पर्व उस समय आता है, जब वर्षा की ऋतु समाप्ति की ओर होती है और धीरे-धीरे हम सर्दी के मौसम की ओर बढ़ रहे होते हैं.

 

नवरात्रि के पांचवें दिन पूजी जाने वाली देवी स्कंदमाता को अलसी का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि अलसी वात, पित्त और कफ के रोगों को नष्ट करती है और स्कंदमाता की आराधना से मन को शांति मिलती है, साथ ही संतान संबंधी परेशानियां दूर होती हैं. असली की प्रकृति, उष्ण है और यह वात को शांत करती है, बल और ओज बढ़ाती है. अलसी का तेल हृदय के लिए लाभकारी है. इसमें ओमेगा-3 होता है, जो नसों को मजबूत करता है. पुरुषों में वीर्य वृद्धि और स्त्रियों में हार्मोन संतुलन में मददगार है.

Advertisement

 

देवी दुर्गा को अलसी चढ़ाने के लाभों में देवी स्कंदमाता का आशीर्वाद प्राप्त होना, मन की शांति मिलना और संतान संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाना शामिल है. इसके अतिरिक्त, ज्योतिषीय रूप से अलसी चढ़ाने से ग्रहों की शांति, धन लाभ और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. नवरात्रि के पांचवें दिन पूजी जाने वाली देवी स्कंदमाता को अलसी का प्रतीक माना जाता है. उनकी आराधना से मन को शांति मिलती है और संतान संबंधी परेशानियां दूर होती हैं.

 

अगर आप ग्रहदोष से परेशान हैं तो अलसी के तेल का दीपक जलाने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है, क्योंकि पश्चिम दिशा शनिदेव की मानी जाती है और वहां दीपक जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं.

अलसी, काले तिल और सरसों के तेल का मिश्रण घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है. इसके लिए रोजाना शाम को इसे गोबर के उपले पर डालकर जलाया जाता है.

 

अलसी मां लक्ष्मी को प्रिय है. अलसी का तेल का दीपक जलाने या लाल कपड़े में अलसी और लाल चंदन रखकर धन स्थान पर रखने से आर्थिक तंगी दूर होती है और धन लाभ के नए रास्ते खुलते हैं.

नौकरीपेशा लोगों के लिए अलसी का उपाय नौकरी में पदोन्नति दिला सकता है.

Advertisement

 

अलसी वात, पित्त और कफ के रोगों को नष्ट करती है, इसलिए देवी स्कंदमाता की कृपा के साथ-साथ यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है. अलसी ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर और विटामिन से भरपूर होती है, जो हृदय, मधुमेह और सौंदर्य सहित कई तरह से लाभ पहुंचाती है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement