ज्योतिष में क्या हैं अपयश के योग? जानें इससे बचने के उपाय

ज्योतिष में कभी-कभी अपयश के योग बन जाते हैं. इसके पीछे कुंडली की कई स्थितियां जिम्मेदार होती हैं. जैसे कि जब व्यक्ति का सूर्य या चन्द्रमा ग्रहण योग में हो, कुंडली का अष्टम या द्वादश भाव ख़राब हो, शुक्र या चन्द्रमा नीच राशि में हो, सूर्य रेखा टूटी हो या उस पर द्वीप हो तो अपयश मिलने की सम्भावना बढ़ जाती है.

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ज्योतिष में अपयश के योग ज्योतिष में अपयश के योग

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 6:56 PM IST
  • ज्योतिष में अपयश के योग
  • अपयश से बचने के उपाय
  • कुंडली में बनता है अपयश योग

किसी-किसी की कुंडली में अपयश का योग बन जाता है. कुंडली के चतुर्थ, सप्तम और दशम भाव से व्यक्ति के नाम और यश की स्थिति देखी जाती है. कभी-कभी द्वादश भाव से भी नाम यश का विचार होता है. मुख्यतः चन्द्रमा और शुक्र यश प्रदान करने वाले ग्रह माने जाते हैं. हस्तरेखा विज्ञान में सूर्य को यश का ग्रह माना जाता है. तृतीय, षष्ठ और द्वादश भाव अपयश के प्रमुख भाव हैं जबकि शनि, राहु और खराब चन्द्रमा, अपयश के प्रमुख ग्रह हैं. इसके अलावा कभी कभी संगति से भी अपयश का योग बन जाता है.

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व्यक्ति को जीवन में कब मिलता है अपयश?

जब व्यक्ति का सूर्य या चन्द्रमा ग्रहण योग में हो, कुंडली का अष्टम या द्वादश भाव ख़राब हो, शुक्र या चन्द्रमा नीच राशि में हो, सूर्य रेखा टूटी हो या उस पर द्वीप हो, जब सूर्य पर्वत पर तिल या वलय हो या अंधेरे घर में रहने वालों को अपयश मिलने की सम्भावना बढ़ जाती है.

अपयश से बचने के लिए क्या उपाय करें?

हर मंगलवार को हनुमान जी को सिन्दूर अर्पित करें. नित्य प्रातः शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें. ताम्बे का एक सूर्य लाल धागे में रविवार को गले में धारण करें. हर अमावस्या को चावल , दाल , आटा और सब्जियों का दान करें. सोते समय सर पूर्व दिशा की ओर करके सोएं.

 

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