Amavasya Vrat Katha: अमावस्या के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, जीवन की सभी परेशानियां होंगी दूर

Amavasya Vrat Katha: हिन्दू धर्म में अमावस्या का बहुत महत्व होता है. अमावस्या के दिन पूर्वजों का तर्पण और उनके नाम का दान करने का महत्व है. अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना की जाती है. इस दिन अमावस्या व्रत सुनना भी शुभ माना जाता है. तो आइए सुनते हैं अमावस्या व्रत कथा.

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अमावस्या की व्रत कथा अमावस्या की व्रत कथा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:30 AM IST

Amavasya Vrat Katha: सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है. अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए, साथ ही इस दिन दान भी करना चाहिए. अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना की जाती है. इस दिन पीपल के वृक्ष की उपासना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के वृक्ष में देवी देवताओं का वास होता है इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ में जल अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कहते हैं कि अमावस्या व्रत कथा का विशेष महत्व है तो आइए सुनते हैं अमावस्या व्रत कथा. 

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अमावस्या व्रत कथा (Amavasya Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, एक राज्य में एक गरीब ब्राह्मण रहता है. पैसों की कमी के कारण उसकी पुत्री का विवाह नहीं हो पा रहा था. अपनी गरीबी से परेशान होकर एक दिन ब्राह्मण दंपत्ति ने एक साधु से उपाय पूछा, तो साधु ने बताया कि पास के गांव में एक धोबिन है, जो अपने बेटे और बहु के साथ रहती है. यदि आपकी बेटी उस धोबिन की सेवा करें तो धोबिन खुश होकर उसे अपनी मांग का सिंदूर दे देगी, जिससे कन्या का विवाह तय हो जाएगा. यह सुनकर कन्या धोबिन के घर जाकर सारा काम करने लगी और इसका पता धोबिन व उसकी बहू को नहीं चल पाया.

एक दिन धोबी ने अपनी बहू से पूछा कि तुम इतना सारा काम इतनी जल्दी कैसे कर लेती हो तो बहू बोली मुझे लगा कि आप यह सारा काम करती हैं. धोबिन चौंक गई और उसने नजर रखना शुरू किया. धोबिन ने जब सुबह उठकर देखा तो एक कन्या चुपचाप उसके घर का सारा काम कर रही थी. कई दिनों तक ऐसा चलता रहा. एक दिन धोबिन ने कन्या से कारण पूछा. 

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कन्या ने साधु द्वारा कही सारी बात धोबिन को बता दी. उसकी बात सुनकर धोबिन ने अपनी मांग का सिंदूर उसे दिया और उसी समय धोबिन के पति की मृत्यु हो गई. उससे दुखी होकर कन्या घर से निकल पड़ी और एक पीपल के पेड़ के पास पहुंचकर 108 ईटों के टुकड़े लिए और उन टुकड़ों को 108 बार परिक्रमा करके एक एक बार फेंकने लगी. कन्या ने ऐसा करने से धोबिन का पति जीवित हो गया. पीपल के पेड़ की परिक्रमा के कारण कन्या को शुभ फल की प्राप्ति हुई. 

अमावस्या की पूजन विधि (Amavasya Pujan Vidhi)

अमावस्या के दिन पूजा करने के लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें. इस दिन गंगा स्नान जरूर करें. यदि आप नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर नहा लें. इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है. अमावस्या के दिन अपनी योग्यता के अनुसार दान-पुण्य जरूर करें इससे हर मनोकामना पूरी होती है. पितरों की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि कर सकते हैं. 

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