Vamana Jayanti 2022: जब अहंकारी राजा का घमंड तोड़ने के लिए ​भगवान विष्णु ने लिया वामन अवतार

Vamana Jayanti 2022: पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था. यह भगवान विष्णु के दशावतार में से पांचवे अवतार थे. भगवान वामन ने प्रहलाद पौत्र राजा बलि का घमंड तोड़ने के लिए तीन कदमों में तीनों लोक नाप दिए थे.

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Vamana Jayanti 2022: जब अहंकारी राजा का घमंड तोड़ने के लिए ​भगवान विष्णु ने लिया वामन अवतार Vamana Jayanti 2022: जब अहंकारी राजा का घमंड तोड़ने के लिए ​भगवान विष्णु ने लिया वामन अवतार

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:18 PM IST

Vamana Jayanti 2022: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन जयंती मनाई जाती है. इस साल वामन जयंती बुधवार, 07 सितंबर को मनाई जाएगी. पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था. यह भगवान विष्णु के दशावतार में से पांचवे अवतार थे. भगवान वामन ने प्रहलाद पौत्र राजा बलि का घमंड तोड़ने के लिए तीन कदमों में तीनों लोक नाप दिए थे. आइए आपको इसकी पूजन विधि और कथा के बारे में बताते हैं.

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वामन जयंती की पूजा
वामन जयंती के दिन भगवान विष्णु के अवतार वामन की प्रतिमा या चित्र लगाकर पूजा की जाती है. इस दिन दक्षिणावर्ती शंख में गाय का दूध लेकर वामन देव का अभिषेक करना चाहिए. भगवान वामन का पूजन करने के बाद कथा सुनें और बाद में आरती करें. अंत में चावल, दही और मिश्री का दान कर किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराएं.

वमान जयंती की कथा
भागवत पुराण के अनुसार, अत्यंत बलशाली दैत्य राजा बलि ने इन्द्र देव को पराजित कर स्वर्ग पर कब्जा जमा लिया था. भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद के पौत्र और दानवीर राजा होने के बावजूद राजा बलि एक अहंकारी राक्षस था. वह अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर देवताओं और ब्राह्मणों को डराया, धमकाया करता था. अत्यन्त पराक्रमी और अजेय बलि अपने बल से स्वर्ग लोक, भू लोक और पाताल लोक का स्वामी बन गया.

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जब इंद्र देव के हाथ से स्वर्ग निकल गया तो वे सभी देवताओं को साथ लेकर भगवान विष्णु के पास पहुंचे. इंद्र देव ने भगवान विष्णु को आपबीती सुनाई और मदद मांगी. तब भगवान विष्णु ने उन्हें इस समस्या से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया. इसके बाद भगवान विष्णु ने वामन के रूप में धरती पर पांचवां अवतार लिया. 

भगवान वामन एक बौने ब्राह्मण के वेश में राजा बलि के पास गए और उनसे अपने रहने के लिए तीन कदम के बराबर भूमि देने का आग्रह किया. उनके हाथ में एक लकड़ी का छाता था. राजा बलि मान गए और उन्हें तीन पग भूमि देने का वादा कर दिया.

वामनदेव ने अपने पहले ही कदम में पूरा भूलोक (पृथ्वी) नाप लिया. दूसरे कदम में देवलोक नाप लिया. तीसरे कदम के लिए कोई भूमि नहीं बची. लेकिन राजा बलि अपने वचन के पक्के थे, इसलिए तीसरे उन्होंने अपना सिर झुका​कर कहा कि तीसरा कदम प्रभु यहां रखें. वामन देव राजा बलि की वचनबद्धता से अति प्रसन्न हुए. इसलिए वामन देव ने राजा बलि को पाताल लोक देने का निश्चय किया और अपना तीसरा कदम बलि के सिर पर रखा. इसके बाद बलि पाताल लोक में पहुंच गए.

 

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