Sharad Purnima 2022: शरद पूर्णिमा आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और चांद की रोशनी में खीर रखने का महत्व

Sharad Purnima 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार आज आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा है और इसे शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. साल भर में पड़ने वाली सभी पूर्णिमाओं में से शरद पूर्णिमा काफी खास है. शरद पूर्णिमा का मुहूर्त, पूजन विधि, खीर का महत्व आर्टिकल में जानेंगे.

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Sharad Purnima 2022: Sharad Purnima 2022:

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 9:19 AM IST

Sharad Purnima Muhurt: आज 9 अक्टूबर 2022 को शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है.  हिंदू कैलेंडर के हिसाब से शरद पूर्णिमा सबसे प्रसिद्ध पूर्णिमाओं में से एक है. ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा साल में एकमात्र ऐसा दिन होता है जिसमें चंद्रमा की सभी सोलह कलाएं होती हैं.   

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हिंदू धर्म में प्रत्येक मानव गुण एक ना एक कला से जुड़ा होता है और यह माना जाता है कि सोलह अलग-अलग कलाओं के संयोजन से एक इंसान बनता है. भगवान कृष्ण भी सोलह कलाओं के साथ पैदा हुए थे और वह भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार थे. यह भी बताया जाता है कि भगवान राम का जन्म केवल बारह कलाओं के साथ हुआ था. शरद पूर्णिमा को कौमुदी व्रत और कोजागर व्रत नाम से भी जानते हैं. शरद पू्र्णिमा की पूजा शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है? यह जान लीजिए.

शरद पूर्णिमा तिथि और मुहूर्त

शरद पूर्णिमा तिथि 9 अक्टूबर 2022 को 03:44:06 से शुरू हो रही है जो कि 10 अक्टूबर 2022 को 02:26:43 पर समाप्त होगी. शरद पूर्णिमा पर चंद्रोदय शाम 05:52 बजे होगा. चन्द्रमा निकलने के बाद पूजा की जाती  सकती है.

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शरद पूर्णिमा पर शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 04:40 AM से 05:29 AM    
अभिजित मुहूर्त- 11:45 AM से 12:31 PM
निशिता मुहूर्त- 11:44 PM से 10 अक्टूबर  12:33 AM 
गोधूलि मुहूर्त- 05:46 PM से 06:10 PM
अमृत काल- 11:42 PM से 01:15 PM
सर्वार्थ सिद्धि योग- 06:18 AM से 04:21 PM

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि

- शरद पूर्णिमा के दिन महिलाएं प्रात: उठें और स्नान करें. मुमकिन हो तो नदी या कुंड में स्नान करें.

- इसके बाद अपने आराध्य भगवान को नहलाएं और नए वस्त्र-आभूषण पहनाएं. आचमन, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, सुपारी और दक्षिणा अर्पित करें. 

- रात के समय गाय के दूध से खीर बनाएं और उसमें चीनी, ड्राईफ्रूट्स आदि मिलाकर उसका भगवान को भोग लगाएं.

- इसके बाद रात में जब चन्द्रमा आकाश में ऊपर की ओर हो उस समय चंद्र देव की पूजन करें और उन्हें खीर अर्पित करें. इसके बाद खीर को चांद की रोशनी में ही रखे रहने दें और अगले दिन सुबह उसका सेवन करें.

- पूर्णिमा के व्रत के दौरान शरद पूर्णिमा की व्रत कथा पढ़ें जिससे पुण्य मिलेगा. 

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व

मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन चंद्रमा की किरणों में उपचारी गुण होते हैं जो शरीर और आत्मा को पोषण देते हैं. यह भी माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत निकलता है इसलिए उसका लाभ लेने के लिए खीर को रात में चन्द्रमा की रोशनी में रखा जाता है. इसके बाद सुबह के समय खीर का प्रसाद के रूप में सेवन किया जाता है.

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कृष्ण ने किया था महा-रास

बृज क्षेत्र में शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा (रस पूर्णिमा) के रूप में भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण ने दिव्य प्रेम का नृत्य 'महा-रास' किया था. शरद पूर्णिमा की रात कृष्ण की बांसुरी का दिव्य संगीत सुनकर, वृंदावन की गोपियां अपने घरों और परिवारों से दूर रात भर कृष्ण के साथ नृत्य करने के लिए जंगल में चली गई थीं. यह वह दिन था जब भगवान कृष्ण ने हर गोपी के साथ कृष्ण रूप में रास किया था. ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने उस रात को लंबा कर दिया था और वह रात इंसानी जीवन से अरबों साल के बराबर थी. 


 

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