ग्रह हमारे शरीर पर कैसे डालते हैं बुरा असर, जानें इनसे निपटने की तरकीब

जलवायु परिवर्तन और बढ़ते प्रदूषण के साथ जन्म कुंडली में बुध के पीड़ित रहने से सोलर प्लेक्सिस, केंद्रिय तंत्रिका तंत्र, पाचन क्रिया, पेट दर्द, अस्थमा, फेफड़ों की बीमारी, हकलाना, स्किन डिसीज, एग्जिमा, मानसिक कमजोरी, नपुंसकता और आंख, नाक व गले से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं.

Advertisement
ग्रहों का हमारे शरीर पर कैसे पड़ता है बुरा असर, जानें इनसे निपटने की तरकीब ग्रहों का हमारे शरीर पर कैसे पड़ता है बुरा असर, जानें इनसे निपटने की तरकीब

नितिन मनचंदा

  • नई दिल्ली,
  • 02 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 6:00 PM IST

हमारी सेहत का ग्रहों के साथ सीधा कनेक्शन होता है. बुध, बृहस्पति और शनि ये तीनों ही ग्रह कहीं न कहीं हमारी शारीरिक और मानसिक समस्याओं का कारण होते हैं. कुंडली में अगर इन ग्रहों की स्थिति खराब है तो समझ लीजिए इंसान का जीवन रोग पीड़ाओं से भर सकता है. आज हम स्वास्थ्य के मोर्चे पर ग्रहों की भूमिका के बारे में विस्तार से बताते हैं. साथ ही कुंडली में इन्हें नियंत्रित करने के तरीके भी जानते हैं.

Advertisement

बुध की भूमिका
हमारे सोलर प्लेक्सिस और तंत्रिका तंत्र पर बुध ग्रह का शासन होता है. इसे बुद्धि और याद्दाश्त का कारक ग्रह माना जाता है. जलवायु परिवर्तन और बढ़ते प्रदूषण के साथ जन्म कुंडली में बुध के पीड़ित रहने से सोलर प्लेक्सिस, केंद्रिय तंत्रिका तंत्र, पाचन क्रिया, पेट दर्द, अस्थमा, फेफड़ों की बीमारी, हकलाना, स्किन डिसीज, एग्जिमा, मानसिक कमजोरी, नपुंसकता और आंख, नाक व गले से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. एक नई स्टडी के मुताबिक, बढ़ते प्रदूषण के कारण कम उम्र के बच्चों में सिजोफ्रेनिया और डायबिटीज की समस्या भी विकसित हो सकती है.

बृहस्पति की भूमिका
ज्योतिष में पीला रंग बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है. और पीले रंग की चीजें जैसे कि केला, पीली दाल या पीली सब्जियां शरीर में बुध की पॉजिटिव वाइब्रेशन को बढ़ाती हैं. बुध से जड़ी इन चीजों के सेवन से हमारा लिवर भी दुरुस्त रहता है. लिवर धमनियों में ब्लड सर्कुलेशन, बॉडी में जमा अतिरिक्त फैट और किडनी के सही फंक्शन को कंट्रोल करता है. वर्तमान में डॉक्टर्स मरीज को दवा देने से पहले प्रिस्क्रिप्शन स्लिप पर 'R' लिखते हैं. वास्तव में यह बुध का ही एक प्रतीक है, जो बड़ी सर्जरी से लोगों की जिंदगी बचाता है.

Advertisement

शनि की भूमिका
नीला रंग शनि ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है और इसमें शीतलता, प्रसन्नता और एंटीसेप्टिक प्रॉपर्टीज होती हैं. अपनी एंटीसेप्टिक प्रॉपर्टी के चलते यह बदन दर्द, बुखार, हैजा, लू, स्किन से जुड़ी समस्या, मुंहासे और पुरानी चोटों को नियंत्रित करता है. चूंकि शनि ग्रह दांत, पैर, जोड़ों की हड्डी, पसली, नाखून, बाल और मिनरल्स का प्रतिनिधित्व करता है. इसलिए नीले रंग की चीजें, आलू, जौ, राई, सरसों का तेल और काले चने की दाल जैसी चीजों को डाइट में शामिल करना चाहिए. इससे न केवल आपको ऊर्जा मिलेगी, बल्कि शरीर में शनि की पॉजिटिव वाइब्रेशन भी आएगी.

कैसे करें काबू?
लाल, पीला और नीला तीन प्राइमरी कलर होते हैं. इन कलर्स को एकसाथ मिलाने पर सेकंडरी कलर्स बनते हैं जैसे कि काला. जिसमें सभी किरणों को अवशोषित करने का गुण शामिल होता है. लाल रंग मंगल का प्रतिनिधित्व करता है. पीला रंग बुध का प्रतिनिधित्व करता है और नीला रंग शनि का प्रतिनिधित्व करता है. ये तीनों ही ग्रह शरीर को स्वस्थ या अस्वस्थ रखने के लिए जिम्मेदार होते हैं. लाल रंग गर्मी, सक्रियता और विस्तार का सूचक होता है और एक टॉनिक की तरह काम करता है. यह तंत्रिका तंत्र को सक्रिय करता है और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को रेगुलेट करने में मदद करता है. लिम्पैथिक नर्वस सिस्टम को सक्रिय करने में भी इसकी बड़ी भूमिका होती है.

Advertisement

लाल रंग के लिए हमें सेब या स्ट्रॉबेरी जैसे फल खाने चाहिए. लाल रंग की दाल और सब्जियां हमारे शरीर को ठंड से बचाने के साथ-साथ घबराहट, खांसी, कोल्ड और नपुंसकता जैसी समस्याओं से लड़ने की ताकत देती हैं. लाल और पीले रंग के कॉम्बिनेशन से बना संतरी रंग भी लगभग यही काम करता है. ये भी हमारे नर्वस सिस्टम को सक्रिय करता है और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को रेगुलेट करता है.

इंडिगो और बैंगनी कलर प्राकृतिक रूप से ठंडे होते हैं. लाल और नीले रंग से मिलकर बने इंडिगो में एंटीसेप्टिक के गुण होते हैं जो बुखार में राहत, नर्वस सिस्टम को मजबूत करने और प्यास को नियंत्रित रखने का काम करता है. वहीं दूसरी ओर बैंगनी रंग की चीजों का सेवन न केवल इंसोमेनिया में राहत देता है, बल्कि एनीमिया और टीबी से जुड़ी बीमारियों को भी नियंत्रित करता है.

आयुर्वेद के अनुसार, वात, पित्त और कफ तीन विष हैं जो प्रकृति में लाल, पीले और नीले रंग का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसलिए इन रंगों का उपयोग सभी चक्रों में सोलर प्लेक्सिस को मजबूत करने और बुध की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए कलर थैरेपी के रूप में किया जाता है.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement