Karwa Chauth 2022: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. इस दिन सुहागिनें पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास करती हैं और रात को चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोलती हैं. उत्तर भारत में कई जगहों पर करवा चौथ के दिन छननी से पति का चेहरा देखने की परंपरा है. क्या आप जानते हैं कि चंद्र दर्शन के बाद सुहागिनें ऐसा क्यों करती हैं. करवा चौथ के व्रत में इस छननी का बड़ा विशेष महत्व बताया गया है.
करवा चौथ पर छननी का महत्व
करवा चौथ के दिन सुहागिनें स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लेती हैं और पूरे दिन निर्जला उपवास करती हैं. इस दिन चंद्र दर्शन के समय सुहागिनें एक छननी से अपने पति का चेहरा देखती हैं. इस छननी में दीपक भी रखा जाता है. इस छननी से पति का चेहरा देखने के बाद वे उनके हाथ से जल ग्रहण करती हैं और व्रत का पारण करती हैं. आइए आज आपको इसके पीछे की कहानी बताते हैं.
करवा चौथ पर छननी के प्रयोग का महत्व
करवा चौथ पर छलनी के इस्तेमाल की एक पौराणिक कथा है. पौराणिक कथा के अनुसार, पतिव्रता वीरवती के सात भाई थे. जब वीरवती का विवाह हुआ तो उसने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था. चूंकि उसने व्रत निर्जला रखा था, इसलिए उसकी तबियत बिगड़ने लगी. भाइयों से उसकी हालत देखी नहीं जा रही थी.
एक भाई से यह बिल्कुल बर्दाश्त ना हुआ और वो पेड़ पर एक छननी में दीपक रखकर बैठ गया. जब वीरवती ने छननी में जलते हुए दीपक को देखा तो वो उसे चंद्रमा समझ बैठी और व्रत खोल लिया. उसकी एक छोटी सी भूल से उसके पति का निधन हो गया. वीरवती को जब इस सच्चाई का पता चला तो वो बहुत दुखी हुई और पति के मृत शरीर को अपने पास रखकर आंसू बहाने लगी.
करवा चौथ के व्रत का चमत्कार
सालभर बाद जब करवा चौथ का दिन आया तो वीरवती ने एक बार फिर पूरे विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत रखा. उसने बिल्कुल सुहागिन महिला की तरह व्रत के नियमों का पालन किया. इससे करवा देवी प्रसन्न हो गईं और वीरवति के मृत पति को फिर से जीवित कर दिया. कहते हैं कि तभी से करवा चौथ के दिन पति को छननी से देखने की परंपरा चली आ रही है.
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