Hal Sashti 2022: भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हरहठ यानी हलषष्ठी का त्योहार मनाया जाता है. इसे हलछठ, ललई छठ और ललही छठ भी कहते हैं. इस दिन माताएं संतान की लंबी आयु और उनकी सुख-समृद्धि के लिए यह उपवास करती हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से मिला पुण्य संतान को संकटों से मुक्ति दिलाता है. इस साल हलषष्ठी का त्योहार बुधवार, 17 अगस्त को मनाया जाएगा.
हलषष्ठी का शुभ मुहूर्त (Hal Sashti Shubh Muhurt)
इस साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि बुधवार, 17 अगस्त को शाम 06 बजकर 50 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 18 अगस्त को रात 8 बजकर 55 मिनट तक रहेगी. इस दिन माताएं अपने पुत्र के हिसाब से मिट्टी के छह छोटे बर्तनों में पांच या सात भुने हुए अनाज या मेवा भरती हैं. हलषष्ठी पर श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम के शस्त्र की पूजा का भी विधान है, इसलिए इस दिन लोग हल से जुती हुई चीजों का सेवन नहीं करते हैं. आप तिन्नी का चावल, केर्मुआ का साग, पसही के चावल खाकर ये व्रत कर सकते हैं.
पूजन विधि (Hal Sashti Pujan Vidhi)
हल षष्ठी के दिन महिलाएं सवेरे-सवेरे स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लेती हैं. बेटे की लंबी उम्र और उसकी सुख-समृद्धि के लिए इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं. इस व्रत में गाय के गोबर से घर लीपकर हलषष्ठी की तैयारी की जाती है. जमीन लीपकर किसी साफ-सुथरे स्थान पर आटे से चौक बनाएं. इसके बाद झरबेरी, पलाश की टहनी और कांस की डाल को एकसाथ बांधकर चना, गेहूं, जौ, धान, अरहर, मूंग, मक्का और महुआ के साथ षष्ठी देवी की पूजा की जाती है.
हल षष्ठी पर महिलाएं अपने पुत्रों की संख्या के हिसाब से मिट्टी के छह छोटे बर्तनों में पांच या सात भुने हुए अनाज या मेवा भरकर पलाश की एक शाखा को जमीन या गमले में गाड़कर पूजा करती हैं. ऐसा करने से उन्हें पुत्र की लंबी आयु और सुख-समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है.
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