Dussehra 2025: आज पूरे देश में दशहरा का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस त्योहार को कुछ जगहों पर दशहरा और कुछ जगहों पर विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है. कई लोग अक्सर विजयादशमी और दशहरा को एक ही समझकर भ्रमित हो जाते हैं. हालांकि, ये दोनों नाम अलग-अलग धार्मिक घटनाओं पर आधारित हैं.
हर साल, विजयादशमी और दशहरा आश्विन मास की दशमी तिथि को मनाया जाता है. दशहरा से पहले नवरात्र के इन 9 दिनों में मां दु्र्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है और उसके दसवें दिन रावण दहन होता है, जो कि दशहरा का सबसे विशेष अनुष्ठान है. तो चलिए जानते हैं.
दशहरा और विजयादशमी में अंतर
क्या है विजयादशमी?
पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, जब राक्षस महिषासुर ने पृथ्वी से स्वर्ग लोक तक आतंक फैलाया हुआ था तो देवी दुर्गा ने उसके और उसकी सेना के विरुद्ध नौ दिनों तक भयंकर युद्ध किया था. दसवें दिन, उन्होंने महिषासुर और उसकी सेना को परास्त कर दिया था. देवी दुर्गा की इस विजय को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है.
क्या है दशहरा?
दशहरा वो दिन है जब भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी. युद्ध से पहले, भगवान राम ने देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए नौ दिनों तक उनकी पूजा की थी. दसवें दिन, उन्होंने रावण का वध किया था, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है. इस घटना के उपलक्ष्य में, नवरात्र के दौरान देश भर में रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसका समापन दसवें दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतलों के दहन के साथ होता है, जिसे दशहरा के रूप में मनाया जाता है.
क्या रहेगा रावण दहन का मुहूर्त?
दशहरा या कहें विजयादशमी के दिन रावण दहन हमेशा प्रदोष काल में किया जाता है. प्रदोष काल का समय सूर्यास्त के बाद शुरू होता है. इस दिन सूर्यास्त का समय शाम 6 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगा और इसी के बाद से रावण दहन भी शुरू हो जाएगा. इस बार रावण दहन का नहूर्त शाम 7 बजकर 10 मिनट तक रहने वाला है.
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