Chanakya Niti In Hindi: ये है मनुष्य के लिए मोक्ष प्राप्त करने का कारण, जानिए क्या कहती है चाणक्य नीति

महान नीतिशास्त्री और अर्थशास्त्री रहे आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti In Hindi) ने मनुष्य के जीवन में आने वाली कठिनाईयों को दूर करने और सफलता हासिल करने के लिए सैकड़ों नीतियों का वर्णन अपने नीतिशास्त्र में किया है.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 10:47 AM IST

महान नीतिशास्त्री और अर्थशास्त्री रहे आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के जीवन में आने वाली कठिनाईयों को दूर करने और सफलता हासिल करने के लिए सैकड़ों नीतियों का वर्णन अपने नीतिशास्त्र में किया है. इसी में वो मोक्ष प्राप्त करने के तरीके को भी बताते हैं. आइए जानते हैं चाणक्य ने मोक्ष के मार्ग के बारे में क्या कहा है...

बन्धन्य विषयासङ्गः मुक्त्यै निर्विषयं मनः। 
मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः॥ 

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आचार्य चाणक्य का कथन है कि बुराइयों में मन को लगाना ही बंधन है और इनसे मन को हटा लेना ही मोक्ष का मार्ग दिखाता है. इस प्रकार यह मन ही बंधन या मोक्ष देने वाला है.

इसका आशय यह है कि मन ही मनुष्य के लिए बंधन और मोक्ष का कारण है, क्योंकि इसका स्वरूप ही संकल्प-विकल्प रूप है. 

यह कभी स्थिर नहीं रहता, निरंतर ऊहापोह, तर्क-वितर्क और गुण-दोषों के विवेचन में लगा रहता है. इसलिए इससे सिद्धांत का जन्म तो होता नहीं, सदा विकल्प लगा रहता है. 

लेकिन मन भी अभ्यास एवं वैराग्य के द्वारा वश में करके मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है. इन दोनों के अतिरिक्त मन बंधन का कारण तो बनता ही है.

देहाभिमानगलिते ज्ञानेन परमात्मनः। 
यत्र यत्र मनो याति तत्र तत्र समाधयः॥

आचार्य चाणक्य समाधि अवस्था की चर्चा करते हुए कहते हैं कि परमात्मा का ज्ञान हो जाने पर देह का अभिमान गल जाता है. तब मन जहां भी जाता है, उसे वहीं समाधि लग जाती है.

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चाणक्य इस श्लोक में कहते हैं कि साधक जब परमात्मा को जान जाता है, तो उसे संसार की प्रत्येक वस्तु माया जान पड़ती है, यानी वह अपने शरीर को भी अपना नहीं समझता. 

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