बृहस्पति, नवग्रहों में गुरु और मंत्री है. यह ज्ञान का सबसे बड़ा ग्रह है. बृहस्पति, धनु और मीन राशि का स्वामी है. कर्क राशि, बृहस्पति की अत्यंत प्रिय राशि है. इसके कारण ज्ञान और विद्या का वरदान मिल जाता है. यह दैवीय कृपा की सूचना भी देता है. अगर बृहस्पति कुंडली में राजयोग दे तो व्यक्ति महान बन जाता है. केवल बृहस्पति का मात्र एक राजयोग भी व्यक्ति को शीर्ष पर पहुंचा सकता है.
बृहस्पति का पहला राजयोग
बृहस्पति का पहला और सबसे सशक्त राजयोग है- हंस. यह बृहस्पति का पंच महापुरुष योग है. बृहस्पति जब कर्क, धनु या मीन राशि में हो तो "हंस" नामक योग बनता है. इससे व्यक्ति तपस्वी, विद्वान और ज्ञानी होता है. ऐसे लोगों को बिना प्रयास के नाम यश और सम्मान मिलता है. राजनीति , कानून और शिक्षा क्षेत्र में खूब सफल होते हैं. इनके ऊपर ईश्वर की विशेष कृपा भी देखी गई है. इन्हें हमेशा अहंकार से बचना चाहिए. ऐसे लोगों को हमेशा खाने की आदत पर भी ध्यान देना चाहिए.
बृहस्पति का दूसरा राजयोग
बृहस्पति का दूसरा राजयोग है- गजकेसरी योग. अगर बृहस्पति और चन्द्रमा एक दूसरे से केंद्र में हों तो गजकेसरी योग बनता है. यह योग सामान्य व्यक्ति को भी विशेष बना देता है. यह योग कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न में विशेष प्रभावशाली होता है. इस योग वाले लोग शासन और राजनीति में विशेष सफल होते हैं. ऐसे लोग जीवन में जिस भी क्षेत्र में जाते हैं, खूब सफल होते हैं. इस योग के होने पर व्यक्ति को शिव जी की उपासना करनी चाहिए. साथ ही अगर संभव हो पीला पुखराज धारण करना चाहिए.
बृहस्पति का तीसरा राजयोग
बृहस्पति का तीसरा राजयोग है- केन्द्रस्थ बृहस्पतीय. बृहस्पति केंद्र में काफी मजबूत माना जाता है. उसमें भी अगर लग्न में हो तो अत्यधिक शक्तिशाली हो जाता है. यह अकेला कुंडली के तमाम दोषों को नष्ट कर देता है. व्यक्ति की आयु लम्बी कर देता है और ज्ञानी बना देता है. लेकिन मकर राशि में बैठा बृहस्पति यह शुभ प्रभाव नहीं देता है. ऐसा बृहस्पति होने पर धर्मस्थानों पर जरूर जाएं. साथ ही अगर नियमित रूप से तिलक लगा सकें तो और भी उत्तम होगा.
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