Ashwin Masik Shivratri 2023: ब्रह्म योग में आई आश्विन मासिक शिवरात्रि, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Ashwin Masik Shivratri 2023: ऐसी मान्यताएं हैं कि चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए हर महीने की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. आज अश्विन माह की शिवरात्रि है.

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Ashwin Masik Shivratri 2023: ब्रह्म योग में आई आश्विन मासिक शिवरात्रि, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि Ashwin Masik Shivratri 2023: ब्रह्म योग में आई आश्विन मासिक शिवरात्रि, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 6:30 AM IST

Ashwin Masik Shivratri 2023: हिंदू धर्म में हर महीने मासिक शिवरात्रि पड़ती है. ऐसी मान्यताएं हैं कि चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए हर महीने की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. आज अश्विन माह की शिवरात्रि है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से दांपत्य जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में खुशहाली आती है.

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मासिक शिवरात्रि की तिथि और मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि गुरुवार, 12 अक्टूबर की शाम 07.53 बजे से शुक्रवार, 13 अक्टूबर रात 09.50 बजे तक रहेगी. चूंकि शिवरात्रि पर शिव-पार्वती पूजन मध्य रात्रि में होता है. इसलिए आश्विन मासिक शिवरात्रि का व्रत 12 अक्टूबर यानी आज रखा जाएगा. मासिक शिवरात्रि तिथि पर तीन शुभ योग भी बन रहे हैं.

ब्रह्म योग
इस बार मासिक शिवरात्रि पर ब्रह्म योग बन रहा है. ब्रह्म योग 13 अक्टूबर को सुबह 10 बजे से प्रारंभ होगा. इस योग में महादेव की पूजा अर्चना को बहुत शुभ माना जाता है. ऐसे में आप 12 अक्टूबर को व्रत रखने के बाद 13 अक्टूबर को भी शिवजी की पूजा कर सकते हैं.

शुक्ल योग
मासिक शिवरात्रि पर शुक्ल योग भी बन रहा है. यह शुभ योग 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजे बाद शुरू होगा. इस कल्याणकारी योग में किए गए कार्य कभी असफल नहीं होते हैं. इस दौरान ईश्वर की पूजा का फल कई गुना ज्यादा प्राप्त होता है.

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करण योग
इस बार मासिक शिवरात्रि पर करण योग का भी निर्माण हो रहा है. इस शुभ योग में भी किए गए प्रत्येक कार्यों में सफलता मिलती है. किसी नए कार्य की शुरुआत के लिए भी इसे उत्तम माना जाता है.

पूजन विधि
मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें. इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें. भगवान शिव का जलाभिषेक करें. शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं. धतूरा, बेलपत्र, शहद, दही, चंदन अर्पित करें. इस दिन शिव चालीसा का पाठ करें. इसके बाद भगवान शिव को भोग लगाएं और आरती करें.

इन मंत्रों का करें जाप
- ऊं नम: शिवाय
- ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्. उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
- श्री रुद्राय नम:
- ओम पार्वतीपतये नम:
- ओम नमो नीलकण्ठाय नम:

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