Sankashti Chaturthi 2022: भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी कब है? जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Sankashti Chaturthi 2022: हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. भगवान गणेश को अन्य सभी देवी-देवतों में सबसे पूजनीय माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने भगवान श्री गणेश के लिए चतुर्थी तिथि का व्रत रखा जाता है. इस बार संकष्टी चतुर्थी 15 अगस्त, सोमवार को मनाई जाएगी.

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भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी कब है? जानिए इसकी पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व भाद्रपद संकष्टी चतुर्थी कब है? जानिए इसकी पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 1:31 PM IST

Sankashti Chaturdashi 2022 kab hai: संकष्टी चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक प्रसिद्ध त्योहार है. हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. भगवान गणेश को अन्य सभी देवी-देवतों में सबसे पूजनीय माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने भगवान श्री गणेश के लिए चतुर्थी तिथि का व्रत रखा जाता है. इस बार संकष्टी चतुर्थी 15 अगस्त, सोमवार को मनाई जाएगी.

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संकष्टी चतुर्थी का महत्व

संकष्टी के दिन गणपति की पूजा करने से घर से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं और शांति बनी रहती है. ऐसा कहा जाता है कि गणेश जी घर में आ रही सारी विपदाओं को दूर करते हैं और व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. चन्द्र दर्शन भी चतुर्थी के दिन बहुत शुभ माना जाता है.

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त

संकष्टी चतुर्थी का त्योहार इस बार भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि रविवार, 14 अगस्त की रात को 10 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर सोमवार, 15 अगस्त को रात 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के कारण संकष्टी चतुर्थी का व्रत 15 अगस्त को ही किया जाएगा. 

संकष्टी चतुर्थी शुभ योग

15 अगस्त को अभिजित मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 59 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक रहेगा. धृति योग सुबह से लेकर रात 11 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. व्रत पूजन का मुहूर्त रात 09 बजकर 27 मिनट से आरंभ होगा.  

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संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि

संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. अगर संभव हो तो लाल रंग के कपड़े पहनकर ही पूजा करें. पूजा करते समय चेहरा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए. गणेश जी की मूर्ती को गंगा जल, शहद  से साफ करें. सिंदूर, फूल, दूर्वा, चावल, जनेऊ, मिठाई, रोली आदि चीजें भगवान गणेश की मूर्ती को अर्पित करें. भगवान गणेश की धूप-दीप आदि से पूजा करें. पूजा के दौरान भगवान गणेश जी के मंत्र ॐ श्री गणेशाय नमः या ॐ गं गणपते नमः का जप करना चाहिए. अब लड्डू का भोग लगाएं. शाम को व्रत कथा पढ़ें और चांद को अर्घ्य देकर व्रत खोलें. व्रत पूरा करने के बाद गरीबों को भोजन खिलाएं और यदि संभव हो तो गरीबों को वस्त्र दान करें.

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