Putrada Ekadashi 2024: पुत्रदा एकादशी आज, जानें इस व्रत की विधि, नियम और दिव्य उपाय

Putrada Ekadashi 2024: पुत्रदा एकादशी का व्रत हर साल सावन शुक्ल की एकादशी तिथि को किया जाता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति और संतान की समस्याओं के निवारण के लिए किया जाता है.

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पुत्रदा एकादशी के उपवास को रखने से संतान संबंधी हर चिंता और समस्या का निवारण हो जाता है. पुत्रदा एकादशी के उपवास को रखने से संतान संबंधी हर चिंता और समस्या का निवारण हो जाता है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 6:00 AM IST

Putrada Ekadashi 2024: आज पुत्रदा एकादशी है. यह व्रत हर साल सावन शुक्ल की एकादशी तिथि को किया जाता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति और संतान की समस्याओं के निवारण के लिए किया जाता है. इस उपवास को रखने से संतान संबंधी हर चिंता और समस्या का निवारण हो जाता है. आइए आपको पुत्रदा एकादशी की पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और कथा के बारे में बताते हैं.

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पुत्रदा एकादशी व्रत के नियम
पुत्रदा एकादशी का व्रत दो प्रकार से रखा जाता है. निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत. निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए. सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए. बेहतर होगा कि इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन किया जाए. संतान संबंधी मनोकामनाओं के लिए एकादशी के दिन भगवान कृष्ण या श्री हरि की उपासना करें.

संतान की कामना के उपाय
पुत्रदा एकादशी के दिन पति-पत्नी संयुक्त रूप से श्री कृष्ण की उपासना करें. श्रीकृष्ण को पीले फल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें. संतान गोपाल मंत्र का जाप करें. मंत्र जाप के बाद पति पत्नी संयुक्त रूप से प्रसाद ग्रहण करें

पुत्रदा एकादशी पर बरतें ये सावधानियां
पुत्रदा एकादशी के दिन घर में लहसुन प्याज और तामसिक भोजन बिल्कुल भी ना बनाएं. एकादशी की पूजा पाठ में साफ-सुथरे कपड़ों का ही प्रयोग करें. परिवार में शांतिपूर्वक माहौल बनाए रखें. ईश्वर में श्रृद्धा रखें. सात्विक रहें और झूठ न बोंले.

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चमत्कारी मंत्र मंत्र
पुत्रदा एकादशी के दिन संतान गोपाल मंत्र "ॐ क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते, देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम् गता" - "ॐ क्लीं कृष्णाय नमः" का जाप करना चाहिए.

कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में महिष्मती नाम की एक नगरी थी. इस नगरी में महीजित नाम का राजा राज्य करता था. लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी. कहते हैं कि संतान सुख के लिए राजा ने अनेक जतन किए. लेकिन राजा को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो पाई. तब राजा ने राज्य के सभी ऋषि-मुनियों को बुलाकर संतान प्राप्ति के उपाय पूछे. राजा की बात सुनकर ऋषि मुनियों ने कहा कि हे राजन! आप पूर्व जन्म में एक व्यापारी थे और आपने सावन माह की एकादशी के दिन अपने तालाब से एक गाय को जल नहीं पीने दिया था. जिसके कारण उस गाय ने तुम्हें निसंतान रहने का श्राप दिया था.

हे राजन! यदि आप और आपकी पत्नी पुत्रदा एकादशी का व्रत रखें तो आपको इस श्राप से मुक्ति मिल सकती है. इसके बाद आपको संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है. यह सुनकर राजा ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने का संकल्प लिया. इसके बाद न केवल राजा श्राप से मुक्त हो गया, बल्कि उन्हें संतान की प्राप्ति भी हो गई.

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