Matsya Dwadashi 2024: मत्स्य द्वादशी आज, रोजगार में उन्नति के लिए जरूर करें ये एक उपाय

Matsya Dwadashi 2024: मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा से लोगों का कल्याण हो जाता है. कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर दैत्य हयग्रीव का वध कर वेदों की रक्षा की थी.

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ऐसी मान्यता है कि मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा से लोगों का कल्याण हो जाता है. ऐसी मान्यता है कि मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा से लोगों का कल्याण हो जाता है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:02 AM IST

Matsya Dwadashi 2024: हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मत्स्य द्वादशी मनाने की परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा से लोगों का कल्याण हो जाता है. कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर दैत्य हयग्रीव का वध कर वेदों की रक्षा की थी. इस दिन श्री हरि की पूजा और कुछ दिव्य उपाय बताए गए हैं, जिससे रोजगार में उन्नति होती है.

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कैसे करें पूजा?
मत्स्य द्वादशी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें. वस्त्र आदि पहनने के बाद पूजा शुरू करें. पूजा वाले स्थान पर जल से भरे चार कलश रखें. इसमें पुष्प डाल दें, उसके बाद चारों कलश को तिल की खली से ढक दें. इनके सामने भगवान विष्णु की पीली धातु की प्रतिमा रखें और फिर धूप, दीप, फल और पंचामृत आदि से पूजन करें.

इस मंत्र का करें जाप
मंत्र: ॐ मत्स्यरूपाय नमः॥ 

दिव्य उपाय
भगवान विष्णु के 12 अवतार में मत्स्य अवतार प्रथम माना गया है. इस दिन जलाशय या नदियों में मछलियों को आटे की गोलियां खिलाने से मनुष्य के कुंडली के दोष दूर होते हैं. इस दिन भगवान विष्णु के सम्मुख रोली मिले गाय के घी का दशमुखी दीपक जलाने से आर्थिक संकट दूर होते हैं. यदि किसी की नौकरी या कारोबार में परेशानियां आ रहीं हैं तो इस दिन भगवान विष्णु पर चढ़ाया हुआ सिक्का जल में प्रवाहित कर दें.

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मत्स्य अवतार की कथा
पौराणिक मान्यताओं अनुसार, एक बार दैत्य हयग्रीव ने वेदों को चुरा लिया, जिसकी वजह से ज्ञान लुप्त हो गया. अधर्म बढ़ने लगा. सभी देव दैत्य हयग्रीव के इस कृत्य से काफी परेशान थे. तब भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार लिया. भगवान ने दैत्य हयग्रीव का वध कर वेदों की रक्षा की और सभी वेदों को वापस भगवान ब्रह्मा जी को सौंप दिया.

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