Lalita Saptami 2025: क्यों राधा अष्टमी से पहले मनाई जाती है ललिता सप्तमी? जानें महत्व और पूजन विधि

Lalita Saptami 2025: ललिता देवी को श्रीकृष्ण और राधारानी की सबसे प्रिय सखी माना जाता है. ललिता सप्तमी का पर्व हर साल राधाष्टमी से 1 दिन पहले और जन्माष्टमी के 14 दिन बाद मनाया जाता है.

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ललिता सप्तमी 2025 (Photo: AI Generated) ललिता सप्तमी 2025 (Photo: AI Generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 6:00 AM IST

Lalita Saptami 2025: ललिता देवी भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की अष्ट सखियों में प्रमुख सखी मानी जाती हैं. अष्ट सखियों में ललिता देवी के साथ-साथ विशाखा, चित्रलेखा, चंपकलता, तुंगविद्या, इंदुलेखा, रंगा देवी और सुदेवी का नाम लिया जाता है. मान्यता है कि ये सभी सखियां श्रीराधाकृष्ण की सेवा और उनके दिव्य प्रेम में सदैव लीन रहती थीं. इनमें से ललिता देवी को राधारानी की सबसे प्रिय सखी का गौरव प्राप्त है. यही कारण है कि हर साल राधा अष्टमी से पहले ललिता सप्तमी का पर्व मनाया जाता है.

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ललिता सप्तमी 2025

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ललिता सप्तमी का पर्व भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल सप्तमी तिथि की शुरूआत 29 अगस्त को सुबह 08 बजकर 22 मिनट पर होगी. इसका समापन 30 अगस्त की रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, इस साल ललिता सप्तमी 30 अगस्त 2025 यानी आज मनाई जाएगी.

ललिता सप्तमी का महत्व

ललिता सप्तमी का पर्व हर साल राधाष्टमी से एक दिन पहले और जन्माष्टमी के 14 दिन बाद मनाया जाता है. इस दिन भक्त राधा-कृष्ण के साथ देवी ललिता की भी पूजा-अर्चना करते हैं. मान्यता है कि इस दिन देवी ललिता की आराधना करने से सुख-समृद्धि, सौभाग्य और वैवाहिक जीवन में खुशहाली की प्राप्ति होती है. साथ ही, इस दिन स्नान-दान करने से जन्मों के दोष और पाप मिट जाते हैं. इससे भक्त पर ललिता देवी की विशेष कृपा बनी रहती है.

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ललिता सप्तमी की पूजन विधि

ललिता सप्तमी के प्रातःकाल में स्नान-ध्यान कर साफ वस्त्र धारण करें. पूजा स्थल पर एक कलश में जल भरकर उस पर श्रीफल स्थापित करें. साथ ही धूप-दीप जलाकर चंदन, रोली, फल-फूल, अक्षत, पान-सुपारी और मिठाई अर्पित करें. देवी ललिता को आटे और गुड़ से बने सात पुए विशेष रूप से भोग में चढ़ाएं. चूंकि इसी दिन संतान सप्तमी व्रत भी आता है, इसलिए भगवान शिव और माता पार्वती की भी विशेष पूजा की जाती है. 

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