Kamika Ekadashi 2023 Date: कामिका एकादशी कब है? जानें महत्व और पूजन विधि

Kamika Ekadashi 2023 Date: सावन कृष्ण कामिका एकादशी तिथि 12 जुलाई को शाम 05 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और 13 जुलाई को शाम 06 बजकर 24 मिनट पर इसका समापन होगा. उदिया तिथि के चलते कामिका एकादशी का व्रत 13 जुलाई को रखा जाएगा.

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Kamika Ekadashi 2023 Date: कामिका एकादशी कब है? जानें महत्व और पूजन विधि Kamika Ekadashi 2023 Date: कामिका एकादशी कब है? जानें महत्व और पूजन विधि

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 3:55 PM IST

Kamika Ekadashi 2023 Date: श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है. श्रावण मास में श्री हरि की पूजा अत्यंत फलदायी होती है. इसका पालन करने से व्यक्ति के पापों का नाश हो जाता है. साथ ही व्यक्ति को दुखों से मुक्ति मिल जाती है. आइए जानते हैं कि इस साल कामिका एकादशी कब है और इस दिन कैसे भगवान विष्णु की पूजा करें.

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कामिका एकादशी की तिथि
सावन कृष्ण कामिका एकादशी तिथि 12 जुलाई को शाम 05 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी और 13 जुलाई को शाम 06 बजकर 24 मिनट पर इसका समापन होगा. उदिया तिथि के चलते कामिका एकादशी का व्रत 13 जुलाई को रखा जाएगा.

एकादशी के व्रत का महत्व
व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी के हैं. इनमें सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है. चन्द्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब और अच्छी होती है. ऐसी दशा में एकादशी व्रत से चन्द्रमा के दुष्प्रभाव को रोका जा सकता है. यहां तक कि ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है, क्योंकि एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर दोनों पर पड़ता है.

कामिका एकादशी महत्वपूर्ण क्यों है?
कामिका एकादशी पर भगवान शिव और श्री विष्णु दोनों की कृपा मिलती है. इसके अलावा, सावन के गुरुवार का शुभ फल भी मिलता है. एकादशी के व्रत से पापों का नाश होगा. इस दिन स्नान दान और ध्यान का अनंत फल प्राप्त होगा.

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कामिका एकादशी पूजा विधि
कामिका एकादशी पर सुबह-सुबह भगवान कृष्ण की आराधना करें. उनको पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. फल भी अर्पित कर सकते हैं. इसके बाद भगवान कृष्ण का ध्यान करेंतथा उनके मन्त्रों का जप करें. इस दिन भी शिव जी को जल अर्पित करें.

सायंकाल पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना भी उत्तम होगा. इस दिन पूर्ण रूप से जलीय आहार लें अथवा फलाहार लें तो इसके श्रेष्ठ परिणाम मिलेंगे. अगर भोजन ग्रहण करना ही है तो सात्विक भोजन ही ग्रहण करें. इस दिन मन को ईश्वर में लगाएं.

 

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