Govardhan Puja 2021: गोवर्धन पूजा या अन्नकूट कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है. मूलतः यह प्रकृति की पूजा है, जिसका आरम्भ भगवान कृष्ण ने किया था. इस दिन प्रकृति के आधार के रूप में गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और समाज के आधार के रूप में गाय की पूजा की जाती है. यह पूजा ब्रज से आरम्भ हुई थी और धीरे-धीरे अब पूरे भारत वर्ष में प्रचलित हो गई है.
गोवर्धन पूजा की विधि
वेदों में इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि आदि देवताओं की पूजा का विधान है. इस दिन गोवर्धन पर्वत, गोधन यानि गाय और भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है.
1. गोवर्धन पूजा के लिए गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर उसे फूलों से सजा लें.
2. गोवर्धन पूजा सुबह या शाम के समय की जाती है. इसके लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें.
3. गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल आदि चढ़ाते हुए विधि विधान से पूजा करें.
4. गोवर्धन जी गोबर से लेटे हुए पुरुष के रूप में बनाए जाते हैं, नाभि के स्थान पर एक मिट्टी का दीपक रख दिया जाता है. इस दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में प्रसाद के रूप में बांट दिए जाते हैं.
5. पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं लगाते हुए उनका जयकारा बोलें. परिक्रमा के वक्त हाथ में लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी करें.
अन्नकूट पूजा
गोवर्धन पूजा के दौरान नई फसलों से अन्नकूट का प्रसाद बनाया जाता है, इसी प्रसाद का भोग लगाया जाता है. इस दिन एक ही रसोई से घर के हर सदस्य का भोजन बनता है. भोजन में विविध प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं. इसमें प्याज लहसुन का प्रयोग नहीं होता है. भोजन बनाकर श्रीकृष्ण को भोग लगाते हैं.
शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 5 नवंबर शुक्रवार को सुबह 6 बजकर 35 मिनट से 8 बजकर 47 मिनट यानी 2 घंटा 11 मिनट का रहेगा. वहीं इसके बाद दोपहर 3 बजकर 21 मिनट से 5 बजकर 33 मिनट तक गोवर्धन महाराज की पूजा कर सकते हैं.
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