वरुथिनी एकादशी के व्रत से मिलता है 1000 तप के बराबर पुण्य, जानें पूजन विधि

वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को ‘वरुथिनी एकादशी’ के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी का उपवास करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं कि वरुथिनी एकादशी कब है और इसकी पूजा विधि क्या है. 

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Varuthini Ekadashi Varuthini Ekadashi

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 24 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 4:43 PM IST

हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है. एक महीने में दो एकादशी के व्रत रखे जाते हैं. वहीं, साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु की विधि विधान पूर्वक पूजा की जाती है. वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को ‘वरुथिनी एकादशी’ के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी का उपवास करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं कि वरुथिनी एकादशी कब है और इसकी पूजा विधि क्या है. 

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वरुथिनी एकादशी तिथि?

वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी 24 अप्रैल को मनाई जाएगी. इसमें 23 अप्रैल को शाम 4:43 से कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत होगी, जो 24 अप्रैल को दोपहर 2:32 पर समाप्त होगी.

कैसे करें वरुथिनी एकादशी की पूजा?

धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि जो भी भक्त वरुथिनी एकादशी का व्रत करता है, उसे 10000 वर्षों तक तप करने के बराबर पुण्य का फल प्राप्त होता है. वरुथिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद भगवान श्री हरि विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए. विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करनी चाहिए. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन के सभी पाप दूर होते हैं.

वरुथिनी एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें और मंदिर स्वच्छ करें. इसके बाद हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें और भगवान विष्णु व भगवान कृष्ण का पूजन आरंभ करें. भगवान को चंदन का तिलक लगाएं और फूल माला व मिठाई अर्पित करें. इसके बाद घी का दीपक जलाएं और पंचामृत का भोग अवश्य लगाएं. फिर व्रत कथा पढ़ें व आरती करें.

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