Aja Ekadashi 2025: कब है अजा एकादशी? जानें तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि

अजा एकादशी पर व्रत रखने और भगवान विष्णु की भक्ति करने से जीवन से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी श्रद्धालु भगवान विष्णु के ऋषिकेश स्वरूप की उपासना करता है, उसे मृत्यु के बाद विष्णु लोक मिलता है. अजा एकादशी के व्रत की कथा सुनने मात्र से ही अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य फल मिलता है.

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अजा एकादशी 2025 अजा एकादशी 2025

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 13 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 6:00 AM IST

Aja Ekadashi 2025: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी का व्रत रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि यह व्रत जीवन से दुख, दर्द और संकटों का नाश कर देता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है. अजा एकादशी का पालन करने से मनुष्य को पिछले जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है. इस व्रत को रखने से जीवन में सकारात्मकता आती है और अनेक कठिनाइयों पर विजय प्राप्त होती है. इस साल अजा एकादशी का व्रत 19 अगस्त को रखा जाएगा.

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अजा एकादशी 2025 तिथि

एकादशी तिथि की शुरुआत- 18 अगस्त 2025, शाम 5 बजकर 22 मिनट पर

एकादशी तिथि समाप्त- 19 अगस्त 2025, दोपहर 3 बजकर 32 मिनट पर

व्रत पारण का समय (20 अगस्त): सुबह 5 बजकर 53 मिनट से 8 बजकर 29 मिनट पर

अजा एकादशी व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, अजा एकादशी पर व्रत रखने और भगवान विष्णु की भक्ति करने से जीवन से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी श्रद्धालु भगवान विष्णु के ऋषिकेश स्वरूप की उपासना करता है, उसे मृत्यु के बाद विष्णु लोक मिलता है. अजा एकादशी के व्रत की कथा सुनने मात्र से ही अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य फल मिलता है.

व्रत एवं पूजन विधि

अजा एकादशी के दिन प्रातःकाल में स्नान आदि के बाद साफ वस्त्र धारण करें. भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र रखें. दीप, धूप, पुष्प, फल आदि से विधिवत पूजा-अर्चना करें. विष्णु सहस्रनाम और प्रभु श्री कृष्ण के भजन का पाठ अवश्य करें. रात के समय जागरण करें और अगले दिन नियत समय पर व्रत समाप्त करें.

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व्रत के नियम

अजा एकादशी के दिन कुछ खास बातों को विशेष ध्यान रखना चाहिए. इस दिन मांस-मंदिर या लहसुन-प्याज आदि का सेवन करने से बचना चाहिए. इस दिन चावल खाने की भी मनाही होती है. इस दिन दूसरों के लिए मन में घृणा बिल्कुल न लाएं. बाल या नाखून काटने से भी परहेज करें. इस दिन दान-दक्षिणा करना बहुत पुण्यकारी माना गया है.

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