राजस्थान के सीकर से बीकानेर राष्ट्रीय राजमार्ग से करीब तीन किलोमीटर दूर वीरान इलाके में रशीदपुर खोरी रेलवे स्टेशन है. रशीदपुर, खोरी व पलथाना गांव की सीमा के बीच बनी रेलवे स्टेशन की इमारत भले ही खंडहर में तब्दील हो गई थी, लेकिन ग्रामीणों के सहयोग से इस स्टेशन पर दिन में आने जाने वाली हर ट्रेन रुकती थी. साल 2005 से पूर्व पश्चिम रेलवे विभाग ने घाटे का सौदा बताते हुए इस स्टेशन के संचालन की व्यवस्था को बंद कर दिया था. जिससे इलाके के आम ग्रामीणों, खासकर छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था.
6 साल तक यातायात की व्यवस्था से परेशान ग्रामीणों और रेलवे विभाग के अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद साल 2009 में रशीदपुरा खोरी-रेलवे स्टेशन की व्यवस्था का जिम्मा ग्रामीणों को सौपा गया. वार्ता के बाद रशीदपुरा खोरी रेलवे स्टेशन पर बाकायदा यात्रियों को टिकट देने के लिए एक एजेंट नियुक्त किया गया था और गांव के ग्रामीण इसकी व्यवस्था करते थे.
जयपुर से चुरू रेलवे स्टेशन के बीच करीब दो दर्जन रेलवे स्टेशन हैं और एक मात्र ही मीटर गेज लाइन थी. रशीदपुरा, खोरी, प्रतापपुरा की लगभग बीस हजार की आबादी यात्रा के लिए इस स्टेशन पर निर्भर हैं. राकेश बुरड़क पलथाना ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा आंदोलन करने पर रेलवे 2009 में तीन लाख रुपये के टिकट खरीदे जाने पर स्टेशन को दोबारा शुरू करने पर सहमति बनी.
ग्रामीणों ने टिकट खरीदने के लिए चंदा जुटाया और रेलवे की शर्त को पूरा किया. दावा है कि रेलवे की शर्त पूरी करने के लिए एक एक आदमी दस-दस टिकर लेकर सफर करता था. स्थानीय निवासी बेटिकट यात्रा करने वालों पर निगरानी रखते थे और आमान परिवर्तन के बाद 03 अक्टूबर 2021 में स्टेशन पर काम दोबारा शुरू हुआ.
वहीं, छोटी लाइन से बड़ी लाइन में रेलवे स्टेशन का आमान परिवर्तन होने के बाद रेलवे स्टेशन को चालू किया गया. अब रेलवे स्टेशन की देखरेख और गाड़ियों का संचालन रेलवे विभाग कर रहा है. टिकट वितरण का काम भी रेल विभाग द्वारा किया जा रहा है.
सुशील कुमार जोशी