रेलवे ने वसूला था 330 रुपये जुर्माना, अब 13 साल बाद यात्री को देने होंगे 50 हजार

रेल कर्मचारी की गलती की वजह से ही एक यात्री की टिकट पर उसे फीमेल लिख दिया गया, जिसके बाद जोधपुर रेलवे स्टेशन पर उसे बेटिकट मानते हुए उससे जुर्माना वसूला गया था. अब उपभोक्ता संरक्षण आयोग का फैसला आया है.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

अशोक शर्मा

  • जोधपुर,
  • 21 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 6:07 PM IST
  • रेलवे को जुर्माना वसूलना पड़ा भारी
  • अब यात्री को देने होंगे 50 हजार रुपये
  • उपभोक्ता संरक्षण आयोग का आदेश

यात्री द्वारा रिजर्वेशन फॉर्म में सही एंट्री किए जाने के बावजूद रेलवे कर्मचारियों ने गलती से टिकट में उसे ना केवल फीमेल (महिला) लिख दिया, बल्कि रेलवे के जांच-दस्ते द्वारा उसे बेटिकट मानकर पेनाल्टी भी वसूल कर ली गई.

इस अन्याय के खिलाफ यात्री द्वारा साल 2009 में  किए गए केस में अब 13 साल बाद उपभोक्ता संरक्षण आयोग (द्वितीय) ने उपभोक्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए रेलवे पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. 

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जानकारी के अनुसार, भोपालगढ़ निवासी महेश ने 29 सितंबर, 2009 को अहमदाबाद से जोधपुर यात्रा के लिए खुद, मां और बहन के नाम से टिकट आरक्षित करवाया था. टिकट के लिए फॉर्म भरकर दिया, लेकिन बुकिंग कर्मचारी ने टिकट में मां और बहन के साथ उसे भी फीमेल अंकित कर दिया.

गलती बताए जाने के बाद भी रेलवे कर्मचारी ने उसमें सुधार नहीं किया. यात्रा की समाप्ति पर जब यात्री ट्रेन से उतरा तो जोधपुर रेलवे स्टेशन पर उड़नदस्ता ने उसके टिकट को नहीं माना और उसे बेटिकट यात्री बताकर पुलिस कार्रवाई की धमकी देते हुए जबरन 330 रुपये जुर्माना वसूल कर लिया. 

रेलवे के जोधपुर डीआरएम की ओर से जवाब पेश कर कानूनी आपत्तियां दर्ज की गई और खुद यात्री को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद आयोग के अध्यक्ष डॉ. श्याम सुन्दर लाटा, सदस्य डॉ. अनुराधा व्यास, आनंद सिंह सोलंकी ने अपने निर्णय में कहा कि टिकट चेकिंग दल द्वारा यात्री का पक्ष सुनने और टिकट जांच पड़ताल किए बिना ही उससे नाजायज रूप से जुर्माना वसूल किया गया.

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परिवादी रेलवे का सम्मानित यात्री होने के बावजूद कर्मचारियों की बार-बार गलती से उसे रेलवे स्टेशन पर परिवारजनों और अन्य यात्रियों के सामने अपमानजनक स्थिति से गुजरना पड़ा. 

आयोग ने इसे रेलवे की सेवा में भारी कमी और अनुचित व्यापार-व्यवहार मानते हुए जुर्माना राशि 330 रुपये वापस लौटाने और पीड़ित यात्री को शारीरिक, मानसिक दुख की क्षतिपूर्ति के लिए 50 हजार रुपये देने का आदेश दिया.

 

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