महर्षी पराशर ने ग्रहों को साक्षात भगवान विष्णु का रूप माना है. इन ग्रहों की विशेष स्थितियों की वजह से इंसान को पूर्व जन्मों के कर्मों से जनित भाग्य का प्रभाव इस जन्म में दिखाई देता है.