आदिवासी चित्रकला को विश्व पटल पर पहचान दिलाने वाली जोधइया बाई 'अम्मा' का निधन हो गया है. वो लंबे समय से बीमार चल रहीं थीं. उनकी उम्र 86 साल थी. जोधइया बाई उमरिया जिले के लोढ़ा गांव की रहने वालीं थीं.
न्यूज एजेंसी के हवाले से आई खबर के मुताबिक जोधइया बाई आदिवासी कला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. कला के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए जोधइया बाई को 2023 में देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री दिया गया था.
जोधइया बाई का अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ सोमवार को लोढ़ा गांव में जिला कलेक्टर धरणेंद्र कुमार जैन, पुलिस अधीक्षक निवेदिता नायडू, अन्य अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं की उपस्थिति में किया गया.
मुख्यमंत्री ने जताया दुख
जोधइया बाई के निधन पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दुख व्यक्त किया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया 'X' पर लिखा है. जोधइया बाई के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है. देश ने एक ऐसी कलाकार को खो दिया, जिन्होंने पूरा जीवन जनजातीय संस्कृति, कला व परंपराओं पर आधारित चित्रकला को देश-विदेश में एक पहचान दिलाई. मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश के साथ-साथ देश ने भी एक ऐसा कलाकार खो दिया, जिसने अपना पूरा जीवन आदिवासी संस्कृति को पहचान दिलाने में लगा दिया. उन्होंने आगे कहा कि बाबा महाकाल से दिवंगत की पुण्यात्मा को शांति प्रदान करने और परिजनों व प्रशंसकों को अपार दु:ख सहन करने की प्रार्थना करता हूं.
राष्ट्रपति ने बैगा चित्रकार जोधइया बाई को पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किया. 22 मार्च 2023 को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कला क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें ये पुरस्कार दिया था.
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