जाने-माने रंगकर्मी आलोक शुक्ला के नए नाट्य संग्रह 'अजीब दास्तां' का विमोचन 4 फरवरी को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) में भारत रंग महोत्सव के दौरान श्रुति कार्यक्रम में हुआ. नाट्य संग्रह का विमोचन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के डायरेक्टर और अभिनेता चितरंजन त्रिपाठी, रंग समीक्षक संगम पांडेय और NSD के प्रकाशन प्रमुख डॉ. प्रकाश झा ने किया.
इस मौके पर रंग समीक्षक संगम पांडेय ने आलोक शुक्ला की गंभीर बीमारी से उभरने के क्रम में उनके नाट्य लेखन और रंगकर्म की प्रशंसा करते हुए 'अजीब दास्तां' को आज के ज़माने का 'आधे-अधूरे' करार दिया. साथ ही कहा कि 'आधे-अधूरे' में सभी किसी चीज की तलाश में रहते हैं, तो 'अजीब दास्तां' में सब कुछ होते हुए भी लोग टूटे हुए हैं.
नाट्य संग्रह के विमोचन के दौरान आलोक ने कहा कि ये नाटक महानगर मुंबई के दो परिवारों के दाम्पत्य जीवन के टूटते-बिगड़ते रिश्तों पर है, जबकि दूसरा नाटक एक हास्य नाटक है.
बता दें कि आलोक शुक्ला बीते 4 साल से जीबीएस पैरलीसिस से पीड़ित हैं और अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं, लेकिन इसी दौरान उन्होंने अपने नाट्य लेखन को जारी रखा और उनके तीन नाट्य संग्रह, एक रंग संस्मरण और एक काव्य संग्रह प्रकाशित हुए हैं. इसके साथ ही पिछले साल अपने लिखे नाटकों का निर्देशन और अभिनय करते हुए उन्होंने मंच पर वापसी की थी.
विमोचन के दौरान प्रयाग शुक्ल, राजेश कुमार, हेमंत मिश्रा, शिवकेश मिश्रा, महेंद्र प्रसाद सिंह, सुनील रावत, प्रताप सिंह, नीतू शुक्ला, अर्जुन राजपूत समेत कई रंगकर्मी और लेखक मौजूद रहे.
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