साहित्य आजतक 2023 कोलकाता से लखनऊ आ गया है. पहले दिन सामाजिक कार्यकर्ता और प्रभा खेतान फाउंडेशन के संदीप भूटोरिया और 'लता: सुर गाथा' के चर्चित लेखक यतींद्र मिश्रा शामिल हुए. दोनों ने साहित्य, संस्कृति और राज्याश्रय के कार्यक्रम पर अपनी राय जाहिर की. साहित्य और कलाकारों के लिए काम करने के सवाल पर संदीप भूटोरिया ने कहा कि कला का कोई भी काम पार्ट टाइम नहीं है. इस पर पूरा समय देने की जरूरत है. संस्कृति, संगीत या सिनेमा में फुल टाइम देना होगा. उन्होंने कहा कि हम बहुत तेजी की दुनिया में काम कर रहे हैं. ये OTT की दुनिया है. सब कोई जल्दी में है, लेकिन जल्दी से काम नहीं चलेगा. सबको इत्मिनान से पूरा समय देना होगा. दो मिनट में सक्सेस का जमाना अलग है, लेकिन साहित्य, संस्कृति में ये नहीं चलेगा. ये देखना होगा कि हमारी पीढ़ी कैसे काम कर रही है.
राज्याश्रय पर संदीप भूटोरिया ने कहा कि भारत में सदियों से साहित्य और राज्याश्रय को एक अलग ही मुकाम मिलता आया है. उन्होंने पृथ्वीराज रासो का जिक्र किया. भूटोरिया ने कहा कि हम एक प्लेटफार्म के जरिये नए-नए साहित्यकारों को मौका देते हैं. युवा साहित्यकारों को भारत के साथ इसके संस्कृति को बचाने के लिए सोचना चाहिए.
कौन होते हैं बड़े लोग?
वहीं, राज्याश्रय पर कार्यक्रम में शामिल यतींद्र मिश्रा ने कहा कि बड़े लोग वो नहीं होते हैं जिनके पास पैसे होते हैं. बड़े वो होते हैं जिनके अंदर कला हो, जिनको अपने घर बुलाकर आप सत्कार करते हैं. उन्होंने पुराने राजा-महराजाओं के दौर का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, भारत रत्न मिलने पर मैंने बिस्मिल्ला ख़ाँ साहब की बहुत तारीफ की और उन्होंने भी अपनी सरकार का शुक्रिया अदा किया.
सरकार संस्थाएं अच्छी बनाती है
राज्याश्रय की चर्चा पर यतींद्र मिश्रा ने कहा कि पुरानी परंपरा बहुत बड़ी थी. नए जामने में सरकार भी नीति अच्छी बनाती है, लेकिन कुछ ऐसे लोग बीच में आ जाते हैं जो उसे सही से चलने नहीं देते. 'लता: सुर गाथा' के लेखक ने कहा कि कोई भी संस्था देश में खराब नहीं बनते. म्यूजिक के स्कूल भी खुलते हैं तो हर टीचर यही चाहता है कि उसका छात्र सा रे गा मा अच्छे से सीख ले.
साहित्य और कलाकारों के लिए काम करने के सवाल पर संदीप भूटोरिया ने कहा कि हिंदुस्तान के समाज में जो ट्रस्ट बनते हैं उसमें डोनेशन के लिए कहा जाता है. आप डोनेशन दे दीजिए और बस उसे देखते रहिये. उन्होंने कहा कि हमारे चार-पांच ट्रस्ट थे, फिर हमने खुद से प्रोग्राम शुरू करने को सोचा और हमारी कोशिश ये रही कि हम अपने फाउंडेशन को अच्छे से चलाएं. उन्होंने कहा कि हम अपने फाउंडेशन के लिए फुल टाइम काम करते हैं. फुल टाइम से ही कला और संस्कृति आगे बढ़ेगी. संदीप भूटोरिया ने कहा कि जिन्होंने फाउंडेशन बनाया है उन्हने पार्ट टाइम की जगह फुल टाइम समय देना चाहिए.
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