आशुतोष राणा ने बताया कैसे चुना गया उनका नाम, सिनेमा पर कही ये बात

आशुतोष राणा ने मॉडरेटर श्वेता सिंह से बातचीत में बताया कि उनका नाम आशुतोष कैसे पड़ा. इसके अलावा उन्होंने सिनेमा और उसकी शक्ति के बारे में भी अपने विचार साझा करते हुए कुछ बड़े सवाल उठाए. आशुतोष राणा पूछते हैं कि क्या सिनेमा सच में इतना शक्तिशाली है? उनकी बातों को सुनकर आप भी सोचने पर जरूर मजबूर होंगे.

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आशुतोष राणा आशुतोष राणा

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 6:47 PM IST

साहित्य आजतक 2023 कोलकाता से लखनऊ आ गया है. पहली बार साहित्य के इस महासंगम का आयोजन लखनऊ में किया गया. साहित्य आजतक 2023 लखनऊ के पहले दिन एक्टर आशुतोष राणा इवेंट में हिस्सा लेने पहुंचे. आशुतोष ने इवेंट के सत्र राम राज्य के दौरान अपनी किताब राम राज्य और भगवान राम के बारे में बात की.

आशुतोष राणा ने खुद रखा था अपना नाम

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आशुतोष राणा ने मॉडरेटर श्वेता सिंह से बातचीत में बताया कि उनका नाम आशुतोष कैसे पड़ा. वो कहते हैं कि तीन साल की उम्र में मैं अपनी मां की गोद में बैठ था. पंडित जी पूजा कर रहे थे. उन्होंने कहा आशुतोषाय नमः तो मैंने उनसे पूछा कि आशुतोष का मतलब क्या होता है? मुझे मतलब बताया गया तो ये नाम मुझे पसंद आ गया. मैंने मां से कहा कि माता जी आज से मेरा नाम आशुतोष होगा. एक्टर कहते हैं कि मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे अपना नाम रखने का मौका मिला.

किस बारे में है एक्टर की किताब?

अपनी किताब के बारे में बात करते हुए आशुतोष राणा कहते हैं कि वाल्मीकि रामायण पढ़ने के बाद उनके मन में संशय आता था कि वाल्मीकि जी का मतलब असल में क्या है. क्या जो उन्होंने लिखा है, उसका मतलब जो हम समझ रहे हैं क्या वही वो हमें बताना चाहते थे या फिर वो हमने कुछ और कहना चाहते थे. जितना हमें दिख रहा है जगत सिर्फ उतना ही नहीं है. इसलिए मैंने इस किताब को लिखा है.

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सिनेमा को लेकर कही बड़ी बात

सिनेमा हो, साहित्य हो या समाचार हो, ये समाज के प्रतिनिधि नहीं प्रतिबिंब होते हैं. समाचार पत्रों में या चैनल के माध्यम से आप जो घटित हो रहा है, वो आप दिखाते हैं. सिनेमा का इस्तेमाल किसके लिए होता है. सिनेमा में मनोरंजन प्रधान है. विद्यालयों में शिक्षा प्रधान है. झंझट तब होती है जब हम सिनेमा में शिक्षा ढूंढने लगते हैं और विद्यालय में हम मनोरंजन ढूंढने लगते हैं. हमको सिनेमा को टेक्स्टबुक नहीं बनाना चाहिए. वो हमारी पाठ्यपुस्तकें नहीं हैं. तो अगर सिनेमा आपका मनोरंजन करने के लिए है तो शिक्षा उसमें सेकेन्डेरी है. 

क्या सिनेमा सच में इतना शक्तिशाली है? सिनेमा के ऊपर हम इतना खड़े हो जाते हैं. जबकि उससे ज्यादा बड़े द्वंद्व हमें समाचार चैनलों पर देखने मिल जाते हैं. मार-पिटाई चल रही है. तोड़फोड़ चल रही है. तब भी हम ये सवाल खड़े नहीं करते. हम तो कहते हैं कि हम तो वास्तविक दिखा रहे हैं सब. अभी हमने देखा सोशल मीडिया के ऊपर दिल्ली में किसी जगह पर सदन में फेकम फाकी चल रही थी. तो ये जो है इसके ऊपर हम कभी संकोच नहीं करते, विचार नहीं करते. 

अपनी तारीफ होने पर आशुतोष राणा ने फैंस का शुक्रिया अदा भी किया. उन्होंने कहा कि हम कुछ नहीं हैं. आप देखते हैं तो हम दिखने लायक हो जाते हैं. आप हमारी बात सुनते हैं तो हम सुनने लायक हो जाते हैं. आप अपने घर से हमारी फिल्म देखने के लिए चलते हैं तो हमारा घर चलने लगता है. आप हमें जैसा समझते हैं हम वैसे हो जाते हैं.

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